भोपाल। अपनी ही कांग्रेस में विवाद का केंद्र बन चुके प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की अग्निपरीक्षा 15 अक्टूबर को होने जा रही है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है पूरी कांग्रेस को एक मंच पर दिखाना। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सिंधिया, पचौरी समेत सारे गुट यदि एक छत के नीचे आ सके तो यह यादव की बड़ी सफलता होगी परंतु यदि ऐसा नहीं हो पाया तो यही यादव का फेलियर भी होगा। इस दिन यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि अरुण यादव वाकई एक लीडर है या पॉलिटिकल लैब।
अपनी नियुक्ति से लेकर अब तक यादव लगातार पुरानी कार्यकारिणी से काम चला रहे थे और हर बिफलता के लिए उन्होंने गुटबाजी को दोष दिया। दिग्गजों पर कीचड़ उछाला और खुद बचते रहे परंतु यह बहाना अब नहीं चल पाएगा। हाईकमान भी समझ चुका है कि गुटबाजी हर संगठन में होती है। यदि 100 लोगों का समूह एक साथ खड़ा कर दिया जाए तो 3 दिन के भीतर 5 गुट बन जाते हैं। अध्यक्ष वो होना चाहिए जो सभी गुटों से काम निकाल सके एवं जिसके आग्रह पर सारे गुट एक छत के नीचे आ जाएं। केवल समस्याओं को स्केन करके प्रजेंट कर देना लैब का काम हो सकता है लीडर का नहीं।
फिलहाल यह बिल्कुल नहीं लग रहा कि यादव की मीटिंग में कमलनाथ, सिंधिया एवं पचौरी उपस्थित रहेंगे। दिग्विजय सिंह अपना बयान दर्ज कराने भोपाल आ रहे हैं इसलिए वो राजधानी में होंगे परंतु मीटिंग में रहेंगे, यह भी तय नहीं हो पाया है। कमलनाथ के दिल्ली कार्यालय के मुताबिक वे इस दिन दिल्ली में ही रहेंगे। सिंधिया के दिल्ली कार्यालय ने बताया कि वे अशोकनगर में कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में शमिल होंगे, जबकि पचौरी के निकटवर्ती सूत्र का कहना है कि पचौरी का फिलहाल 15 को दिल्ली में रहने का कार्यक्रम है।