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रोड ट्रांसपोर्ट सुरक्षा विधेयक 2015 को काला कानून बताया

भोपाल। भारत सरकार मोटर व्हीकल एक्ट 1988 को समाप्त करने के लिए रोड ट्रांसपोर्ट एन्ड सेफ्टी विधेयक 2015 के नाम से एक नया कानून बनाने जा रही है। यह विधेयक आगामी लोकसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है । म.प्र.ट्रांसपोर्ट  वर्कस फेडरेंशन इंटक के प्रांतीय उपाध्यक्ष जे पी एस तिवारी ने बताया कि  सड़क परिवहन मंत्री का कथन है कि वर्तमान कानून पुराना हो गया है, इसलिये हमने विधेयक का जो प्रारूप तैयार किया है वह 6 विकसित देशों की परिस्थितियों के अनुरूप है। उन 6 देशों के नाम हैं-अमेरिका, केनेडा, सिंगापुर, जापान, जर्मनी और यूनाईटेड किंगडम। इस विधेयक के कानून बन जाने से सड़क परिवहन उद्योग सीधा केंद्र सरकार के अधीन हो जायेगा। इसके अतिरिक्त सरकार का दावा है कि इस नये कानून से विभिन्न राज्यों के परिवहन कार्यालयों में चल रही गड़बडियां समाप्त हो जावेगी। केन्द्रीय परिवहन मंत्री द्वारा किया जा रहा दावा व्यवहारिक और सुविधाजनक नहीं है ।

श्री तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार के इस विधेयक का कतिपय राज्य सरकारों एवं परिवहन उद्योग के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले समस्त राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर कड़ा विरोध किया है एवं राष्ट्रव्यापरी आंदोलन की शुरूवाद भी हो चुकी है। विगत दिनों इंटक,ने अपनी सामूहिक बैठक में निर्णय लिया है कि राज्य स्तर पर गोष्ठियां, सम्मेलन वगैरह आयोजित कर कर्मचारियों क ो जागरूक किया जावे

श्री तिवारी ने कहा कि प्रस्तावित कानून के बन जाने के पश्चात देश में कार्यरत् लगभग 54 सार्वजनिक परिवहन उद्योगों के समक्ष अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जावेगा एवं साढ़े सात लाख से भी अधिक कर्मचारियों की नौकरी खतरें में पड़ जावेगी क्योंकि यह कानून समूचे भारतवर्ष में पूर्ण निजिकरण एवं अनियमित बस संचालन का मार्ग प्रशस्त कर देगा।

इस कानून के अमल में आने से निजी बस मालिकों को भी भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान में कार्यरत् परिवहन कार्यालय (आर.टी.ओ.)समाप्त किये जाकर संचालन के लिए परमिट जारी करने के लिए निविदायें आमंत्रित की जावेगी। इसके अतिरिक्त बस संचालन में बसों की बनावट से लेकर अनेक ऐसी शर्ते लादी जा रही है जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं बड़े-बडें़ उद्योगपतियों का एकाधिकार हो जावेगा एवं वर्तमान छोटे बड़े बस संचालकों के समक्ष  अनेक ऐसी कठिनाईयां उत्पन्न हो जाने वाली है जिनसे वे अपने आप इस दौड़ से बाहर हो जावेंगे।

श्री तिवारी ने बताया कि भारत के परिवहन मंत्री ने यह भी दावा किया है कि इस कानून के बन जाने से सड़क दुर्घटनायें में कमी आ जावेगी। उनके इस दावे में कोई दम नहीं है क्योंकि विश्व बैंक के एक विशेषज्ञ का कथन है कि भारत की सड़कें ही दुर्घटना का कारण है क्योकि हमारे देश की सड़कों पर जिस गति से बस-ट्रक एवं अन्य वाहन चलते हैं उनसे वे सड़के मेल नहीं खाती।

केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित रोड टं्रासपोर्ट एंड सेफ्टी बिल इतना अधिक भयावह है कि वाहन चलाने के शायद ही कोई चालक तैयार हो यदि चालक से कोई दुर्घटना होती है उसका पूरा जीवन और उसके परिवार पर भारी संकट उत्पन्न हो जायेगा छोटी छोटी गलतियो पर चालको को भारी जुर्माने और सजा का प्रावधान इस प्रस्तावित कानून में है । वाहन चालकों को दुर्घटना पर सजा के जो प्रावधान है वह अपराध कारित करने वाले अपराधियों को भी नहीं है । प्रस्तावित कानून के अनुसार  बच्चे की मृत्य 3 लाख रूपया जुर्माना एवं 7 वर्ष का कारावास, बच्चे के अतिरिक्त अन्य किसी की मृत्यु पर 1 लाख रूपये और 4 वर्ष की जेल,  यातायात संकेतों का उल्लघंन पर जुर्माना रूपया 5000 पहला अपराध,रूपया 10000जुर्माना  दूसरा दंड ,रूपया 15000 जुर्माना तीसरा दंड के अलावा 1 माह का लायसेंस निलंबन तथा अनिवार्य प्रशिक्षण . सीट बेल्ट नहीं बांधने पर 5000 रूपया जुर्माना . हेलमेट नही पहननें पर ,2500 रूपया जुर्माना . वाहन चलाते समय मोबाईल का उपयोग करने पर  4000 रूपया जुर्माना पहला अपराध 6000जुर्माना  रूपया दूसरा अपराध  10000 रूपया जुर्माना तीसरा अपराध. नशे पर वाहन चलाने पर 15000 रूपया जुर्माना पहला अपराध 6 माह का लायसेंस निलंबन साथ में 6 माह से 1 वर्ष की जेल दूसरे अपराध के लिये लायसेंस का स्थाई रूप से निलंबन और 2 वर्ष की जेल . कार-मोटर सायकल अन्य हल्के वाहन की सीमा से अधिक संचालन गति 5000 रूपयें जुर्माना  से 50000 रूपये जुर्माना और 2 माह से 6 माह तक का लायसेंसे निलंबन  वाहन चालकों के लिए जो नियम बनाये जा रहे हैं वे न्याय संगत नहीं है कार्य के दौरान दुर्घटना होने पर उसके लिये आदतन अपराधियों से अधिक कठोर दंड के प्रावधान भयभीत करने वाले है इस प्रकार के कानून से जहाँ अनेक परिवार पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा वहीं राष्ट्र के विकास में लगने वाले  श्रम को अपराध श्रेणी में लाकर खडा करना दुर्भाग्यपूर्ण है ।
श्री तिवारी ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित यह कानून पास हो जाता है तो यह वाहन चालकों के लिये काला कानून साबित होगा ।

 विधेयक का प्रारूप तैयार करने के पूर्व सरकार ने किसी भी संबंधित संगठन से न तो कोई चर्चा की है और न ही उनके द्वारा दिये गये सुझावों पर विचार किया  है इसलियें राष्ट्रीय स्तर पर किये जाने वाले  प्रस्तावित आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

जे पी एस तिवारी
प्रांतीय उपाध्यक्ष म.प्र.ट्रांसपोर्ट वर्कस फेडरेशन इंटक

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