राघवेंद्र बाबा/इंदौर। गुजरात में पटेल आंदोलन की तरह इंदौर में भी अलग-अलग समाजों के 300 नेता आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। आंदोलन की तारीख कभी भी निर्धारित की जा सकती है। हालात ऐसे हैं कि कभी भी सामान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग आमने-सामने आ सकते हैं। ये कहना है पुलिस के खुफिया विभाग का। पुष्ट सूत्रों के मुताबिक खुफिया विभाग ने गृह विभाग को भेजी रिपोर्ट में साफ कहा है कि गुजरात की तरह कभी भी इंदौर में अप्रिय स्थिति बन सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ा वर्ग के 100 पूर्व पार्षद और पिछड़ा वर्ग के विभिन्ना प्रकोष्ठों के 200 अध्यक्ष योजना बना रहे हैं। इनका कहना है कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या अधिक है। लेकिन आरक्षण में प्रतिशत कम है। इसे बढ़ाने की मांग को लेकर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे है, जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती है।
राजनीति में जाने का शार्टकट 'हार्दिक मॉडल"...
खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात-राजस्थान से प्रेरित होकर समाज के छोटे-मोटे नेता राजनीति में आगे बढ़ना चाहते हैं। आंदोलन यदि उग्र रुप लेता है तो तत्काल लोकप्रियता मिल जाती है। राजनीतिक पार्टियां से टिकट मिलने के चांस बढ़ जाते हैं। रिपोर्ट में हार्दिक पटेल को मिली सफलता को मॉडल के रुप में सामने रखकर आगे बढ़ने की मंशा कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक बताई गई है।
नेतृत्व करेंगे तो टिकट मिल सकता है...
आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में चल रहे आंदोलन का असर पडौसी राज्यों में भी नजर आने लगा है। मालवाचंल का पाटीदार-पटेल समाज आंदोलन के लिए तैयारी में जुटा है तो पिछड़ावर्ग में आने वाली जातियों ने भी उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने की मांग शासन के समक्ष रखने की तैयारी कर ली है। इंदौर इस आंदोलनों का केंद्र बनकर उभर रहा है। खूिफया एजेंसियों ने पुलिस मुख्यालय के माध्यम से एक रिपोर्ट सरकार को भेजी है।
इनका कहना है
खुफिया रिपोर्ट अतिसंवेदनशील मामलों में भेजी जाती है। ये अच्छी बात है कि किसी अप्रिय स्थिति के पहले ही सरकार को जानकारी मिल गई। पुलिस और अन्य एजेंसियों को किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारियों के लिए पर्याप्त वक्त मिल जाएगा।
पन्नालाल, रिटायर्ड एडीजी