नई दिल्ली। एजेंसी देश के 55 प्रतिशत कर्मचारियों को स्वास्थ्य पर अपने सैलरी का एक तिहाई से ज्यादा खर्च करना पड़ता है, जबकि एशिया-प्रशांत के अन्य देशों में 38 प्रतिशत कर्मचारियों को अपने स्वास्थ्य पर एक तिहाई अनुपात में राशि खर्च करनी पड़ती है। वैश्विक पेशेवर सेवा कंपनी टावर्स वाट्सन के रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिसर्च से स्पष्ट है कि 42 प्रतिशत भारतीय नियोक्ताओं का मानना है कि अपने फायदे के लिए कर्मचरियों के स्वास्थ्य बेहतर करना शीर्ष प्राथमिकता है, जबकि एशिया प्रशांत क्षेत्र के 26 प्रतिशत कंपनियां ऐसा मानती हैं। गौरतलब है कि फिलहाल सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में कई तरह की खामियां हैं। इन्हें पहचान करके दूर किया जाना जरूरी है। इन सेवाओं पर जो पैसा खर्च किया जा रहा है वह भी पर्याप्त नहीं है। आगामी 5 से 10 साल में स्वास्थ्य सेवाओं में खास सुधार के लिए इस पर खर्च भी बढ़ाना जरूरी है।