भोपाल। अगर आप की आय तीन लाख रुपए है तो अब आप भी राज्य व केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले रियायती मकान खरीद सकते हैं। इसके लिए हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा नोटीफिकेशन जारी कर दिया गया है। जिसके बाद प्रदेश मेंं आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की परिभाषा भी बदल गई है। अब तीन लाख रुपए प्रतिवर्ष तक की आय वाले परिवार भी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के दायरे में ही रहेंगे अब तक यह सीमा मात्र डेढ़ लाख रुपए थी।
इस तहर आय सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। इसी तरह निम्न आय वर्ग की परिभाषा भी बदल गई है। अब प्रतिवर्ष तीन लाख रुपए से लेकर छह लाख रुपए की आय अर्जित करने वाले परिवार भी निम्न आय वर्ग की श्रेणी में शुमार किए जाएंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल शहरी क्षेत्रों में निम्न आय वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवार के लिए कम लागत के पक्के मकानों का निर्माण विभिन्न योजनाओं के तहत किया जा रहा है। रियायती दामों पर मिलने वाल आवासों के लिए राज्य सरकार कुछ सहायता राशि भी प्रति परिवार देती है। वहीं आवास लेने वाले परिवारों को बाकी राशि का बंदोबस्त करने के लिए बैंक से लोन दिलाने का भी प्रयास करती है लेकिन डेढ़ लाख रुपए से कम आय वाले परिवारो को लोन देने से भी बैंक कतराते हैं। वहीं डेढ़ लाख की सीमा तय कर दिये जाने से कई ऐसे परिवार जो प्राइवेट कॉलोनाइजर द्वारा विकसित किए जा रहे आवासों का बाजार दर पर नहीं खरीद पाते लेकिन वे रियायती दामों पर या कम लागत की योजनाओं से वंचित हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। वहीं इस तरह की सरकारी प्रोजेक्ट के असफल होने की संभावना भी खत्म हो जाएगी।
इन्हें भी मिलेगा फायदा
वर्तमान में प्रति व्यक्ति आयकर की सीमा दो लाख 50 हजार रुपए तय। यानि इस आय तक जो व्यक्ति की आयकर चुकाने से छूट मिली हुई है। लेकिन उससे अधिक आमदनी पर उसे आयकर चुकाना होता है। राज्य सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर की आय सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपए प्रति वर्ष किए जाने से यह तय हो गया कि अब आयकर चुकाने वाले भी आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी में आ जाएंगे। वहीं छह लाख रुपए प्रति व्यक्ति आय जिस देश के लिहाज से क्रीमिलेयर की श्रेणी में माना जाता है। अब वे भी निम्र आय वर्ग के दायरे में आ जाएंगे।