अरविन्द साहू/टीकमगढ़। इसे अमानत में खयानत का मामला कहा जाता है। यदि कोई शातिर ठग करता तो सहन भी कर लेते परंतु जो सरकार खुद को अध्यापक हितैषी बताती है, उसी ने यह करतूत कर डाली। अध्यापकों के वेतन से काटी गई 216 करोड़ रुपए की रकम सरकार ने NSDL में जमा ही नहीं कराई। इतनी ही रकम सरकार को अपनी ओर से देना थी। वो भी दबाए बैठे हैं। नुक्सान हर हाल में अध्यापक का है।
'समान कार्य समान वेतन, एवं शिक्षा विभाग में संविलियन' के लिए आंदोलित अध्यापकों की सरकार से विगत दिनों हुयी वार्ता विफल रही। सरकार के अनुसार अध्यापक समय से पहले 6वां वेतनमान मांग रहे हैं। सरकार का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने शिक्षाकर्मी कल्चर समाप्त कर 01/04/2007 से अध्यापक संवर्ग का गठन किया। जिसमे वर्ष 1998 में नियुक्त शिक्षाकर्मी की लगभग 09 वर्ष की सेवा काल को नवगठित संवर्ग में गणना करके सहायक अध्यापक लिए 03वर्ष (तीन वेतनवृद्धि दी गयी) एवं अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक की 02 वर्ष (दो वेतनवृद्धि दी गयी) में समेट दिया गया।
दिनांक 01/04/2011 से नवीन पेन्शन योजना लागू की। जिसमें भी लगातार छलावा हो रहा है। NPS के तहत अध्यापक सम्वर्ग का उनकी कुल प्राप्तियों का (वर्तमान में मिल रही अंतरिम राहत को छोड़कर )10% अंशदान सम्वन्धित से एवं समान राशि सरकार द्वारा NSDL में जमा कराने का निर्णय लिया गया। जिसमें कर्मचारी का 10% उसकी वेतन में से प्रत्येक माह काट लिए जाते है जो सरकार के पास जमा है।
वर्तमान में सरकार ने जुलाई 14, अगस्त 14, एवं फरवरी 15 से अगस्त 15 तक कुल 09 माह का अंशदान NSDL को नहीं भेजा। इसके अलावा सितम्बर 14 से जनवरी 15 तक कुल 05 माह का अंशदान 21 अगस्त 2015 को जमा किया गया (योजना अंतर्गत काटी गयी राशि कभी समय पर जमा नहीं की जाती)। ज्ञातव्य है की 01 जनवरी 2005 के पश्चात नियुक्त कर्मचारियों को NPS में सम्मिलित किया गया है, जिनका NPS के अंतर्गत शासन द्वारा दिया जाने वाला अंशदान प्रति माह कोषालय के माध्यम से वेतन के साथ ही जमा होता है।
किन्तु अध्यापक संवर्ग का विगत 08 माह में (अगस्त 15 को छोड़कर आँकड़े पोर्टल पर उपलब्ध नहीं ) कर्मचारी अंशदान रूपये 2162106360/- दो सौ सोलह करोड़ इक्कीस लाख छः हजार तीन सौ साठ मात्र---- एवं इतनी ही राशि शासन का अंशदान होता है। अत: कुल राशि रूपये 4324212720/- चार सौ बत्तीस करोड़ व्यालीस लाख बारह हजार सात सौ बीस - जो NSDL को जाना थी। अब तक जमा नहीं की गयी जिससे कर्मचारियों का स्कीम में पैसा समय पर इन्वेस्ट नहीं हो रहा है जो कर्मचारियों के हित में नहीं है।