भोपाल। मप्र के स्वास्थ्य मंत्री को अस्पतालों से ज्यादा शिवराज की चिंता रहती है। थोड़ा वक्त मिलता है तो अपनी विधानसभा की राजनीति कर डालते हैं। अस्पताल भगवान भरोसे चल रहे हैं। दूर गांव की बात क्या करें, राजधानी के सरकारी अस्पताल में एक नवजात की लाश 5 दिन तक लावारिस पड़ी रही और उसके माता पिता को कहा जाता रहा कि बच्चे का इलाज चल रहा है।
कोकता दौलतपुरा निवासी रेखा ने 13 अक्टूबर को सुल्तानिया अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था लेकिन हालत नाजुक होने के कारण बच्चे को हमीदिया अस्पताल रैफर कर दिया गया। जहां बाद में मां को भी शिफ्ट कर दिया गया।
बेटे की तबीयत नाजुक होने के कारण उसे आईसीयू में भर्ती किया गया था। जब भी परिजन बेटे के बारे में पूछते तो कर्मचारी उसका इलाज जारी रहने की बात कहते। माता-पिता को भी उसे देखने तक की अनुमति नहीं थी।
दो-तीन दिन बीत जाने पर भी जब बच्चा नहीं मिला तो उन्होंने कर्मचारियों से पूछताछ की। तब उन्हें पता चला कि उनका बच्चा वार्ड में है ही नहीं। बच्चा नहीं मिलने पर मां-बाप ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाना चाही लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ लौटा दिया गया।
बच्चे की मौत की खबर माता-पिता को तब पता चली जब पांच दिन से मोर्चरी में रखे एक बच्चे के शव के परिजन न मिलने पर उसे लावारिस घोषित करने की कार्रवाई कर शव को दफनाने के लिए सैयद सुहैल हसन को बुलाया गया।
जब उन्होंने मोर्चरी में रखे शव एंट्री रजिस्टर को चैक किया तो बच्चे की मां का नाम रेखा निवासी कोकता लिखा मिला। तब जाकर सुहैल ने रेखा को उनके बच्चे की मौत के बारे में जानकारी दी। हैरानी की बात तो यह है कि पांच दिनों से बच्चे का शव मोर्चरी में ही रखा था। इसके बावजूद कर्मचारी माता-पिता से यह कहते रहे कि बच्चे का इलाज चल रहा है। वहीं अस्पताल के अधीक्षक डीके पाल ने अस्पताल की गलती स्वीकारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।