भोपाल। पांच साल में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर अभिनव प्रयास नामक एनजीओ ने सैकड़ों लोगों से प्रदेशभर में करीब 30 करोड़ रुपए ठग लिए। संस्था के संचालक मंडल ने एनजीओ को एलआईसी से एफिलिएटेड बताया था।
आरोपियों ने खासकर गांव वालों को निशाना बनाया। भरोसे में लेने के लिए आरोपी सेमिनार में राजनेताओं को बुलाया करते थे। संस्था के खिलाफ अब तक प्रदेशभर में 15 जिलों में शिकायत हो चुकी हैं। संस्था के झांसे में भोपाल के करीब दो सौ लोग आए हैं। अभिनव प्रयास संस्था का मुख्यालय बागसेवनिया स्थित शंकराचार्य नगर में खोला गया था।
उमरिया निवासी वेदप्रकाश मिश्रा के मुताबिक संस्था ने प्रदेश के 15 जिलों में जिला प्रभारी और पंचायत प्रभारी के पद पर कुछ एजेंट भर्ती किए। वेदप्रकाश को उमरिया जिला प्रभारी बनाया गया था। इन पदों पर भर्ती किए गए सदस्यों को एलआईसी का मोनो लगा ऑफर लेटर दिया गया था। इनका काम समाज के निचले तबके को संस्था से जोड़ना था। उनका दावा है कि प्रदेश भर में सभी एजेंट्स ने मिलकर अब तक ऐसे दस हजार से ज्यादा लोगों को जोड़ा होगा।
डायरेक्टर समेत 11 सदस्यों पर केस दर्ज
एएसपी राजेश सिंह भदौरिया के मुताबिक वेदप्रकाश, राजेश रैदास समेत 11 सदस्यों ने अभिनव प्रयास संस्था के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की थी। जांच में पता चला कि संस्था ने लोगों की रकम दोगुनी करने और उनका बीमा करने का झांसा दिया था। संस्था ने पांच साल में बीमा पॉलिसी पूरी होने के दस्तावेज सभी को दिए थे। इसे धोखाधड़ी मानते हुए संस्था के संचालक मंडल के 11 सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। इनमें कंपनी का डायरेक्टर आकाश दीप, उसकी पत्नी शिखा राय, संजय श्रीवास्तव, राजेश सिन्हा, आशीष सिन्हा, रितेश कुमार सिन्हा, संदीप श्रीवास्तव, एसके महोबिया, एसके दास गुप्ता और हेमंत भार्गव शामिल हैं।
लुभावने आॅफर-हादसे में मौत तो मिलेंगे 75 हजार
वेदप्रकाश ने बताया कि आरोपी तीन तरह की पॉलिसी करने के लिए कहते थे। इसमें सबसे ज्यादा लोगों ने सालाना 350 रुपए का बीमा करवाया है। संस्था ने पांच साल बाद 1950 रुपए देने का दावा किया था। यदि बीमा धारक की स्वाभाविक मौत हुई तो 30 हजार, हादसे में मौत पर 75 हजार, अपंग हुए तो 75 हजार रुपए देना था लेकिन पांच साल पूरे होने से पहले ही संस्था के कर्ताधर्ता दफ्तरों में ताला लगाकर फरार हो गए।
ब्रांडिंग के तौर-तरीके
सिवनी-मंडला और बालाघाट जिले के प्रभारी आरके डहेरिया के मुताबिक संस्था की ओर से कुछ नेताओं और एलआईसी के अफसरों को बुलाया जाता था। इस तरह के सेमिनार बड़े-बड़े होटलों में किए जाते थे। इससे एजेंट भी काफी भरोसे में आ गए थे। जिला प्रभारी और पंचायत प्रभारी ने मिलकर हर जिले में करीब दो से दस हजार लोगों का बीमा किया। सभी से ली गई रकम और उनकी पॉलिसी को जोड़ा जाए तो संस्था द्वारा की गई ठगी का आंकड़ा तीस करोड़ रुपए से ज्यादा पर पहुंच जाएगा।