सरकार को मालूम था स्कूलबसों पर हमला होगा, फिर भी कुछ नहीं किया

भोपाल। हड़तालों के मामले में मप्र सरकार दोहरा रवैया अपनाती है। यदि हड़ताल सरकार को प्रभावित करने वाली हो तो उसे तोड़ने के लिए सारी शक्तियां लगा दी जातीं हैं परंतु यदि वो आम जनता को प्रभावित करने वाली हो तो कोई कुछ नहीं कहता। सरकार को 3 दिन पहले से पता था कि ट्रकों की हड़ताल के नाम पर यात्री बसें और स्कूल बसों को भी शामिल किया जाने वाला है। ऐसा हुआ भी, लेकिन सरकार ने स्टूडेंट्स के लिए कोई प्रयास नहीं किया। बताइए जरा, टोल नाकों से स्कूल बस का क्या रिश्ता, वो हड़ताल पर क्यों ? मांगे नहीं मानीं तो क्या एम्बूलेंस भी हड़ताल पर चली जाएगी ?

ट्रक ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के बहाने गुरुवार को शहर की सड़कों पर उपद्रवियों ने स्कूल बसों को लाठी-डंडों के दम पर रोका, इसकी खबर मुख्यमंत्री, डीजीपी और एसपी को तीन दिन पहले दे दी गई थी। शुक्रवार को कलेक्टोरेट में हुई बैठक में खुद बस संचालकों ने अफसरों के मुंह पर यह खुलासा किया। उन्हाेंने कहा, तीन दिन पहले ही हमने इसकी आशंका जाहिर कर दी थी। यह भी बताया था कि हड़ताल के बहाने असामाजिक तत्व परिवहन व्यवस्था हाईजैक करने की साजिश कर रहे हैं। यह सुनते ही अफसर बचाव की मुद्रा में आ गए और आवेदन न मिलने की सफाई देते रहे। स्कूल बस संचालकों ने एडीएम बीएस जामोद व एसपी नार्थ अरविंद सक्सेना को बताया कि हड़तालियों ने भेल, कोलार, भदभदा, नेहरू नगर में बसों को रोका। जबरन बच्चों को बसों व वैन से उतारा और बसों में तोड़फोड़ की।

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