भोपाल। पीएचई मंत्री कुसुम सिंह महदेले से मदद की गुहार लेकर आए 150 किसानों से मंत्रीजी ने मुलाकात तो इंकार कर ही दिया, उल्टा किसानों को धमकाने के लिए प्रमुख अभियंता जेएस डामोर को बुलवा लिया। डामोर ने भी मंत्रीजी के गुर्गे की तरह बर्ताव किया और किसानों को डरा धमकाकर भगा दिया।
यह है मामला
शाहपुरा के किसान पहले सीवेज के पानी से सब्जियों की खेती किया करते थे। एनजीटी ने रोक लगा दी तो उन्होंने फूलों की खेती शुरू कर दी। एनजीटी ने इसके लिए स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के आदेश शासन को दिए। पीएचई ने पानी की सप्लाई भी शुरू कर दी लेकिन कुछ दिनों बाद पानी की सप्लाई बंद कर दी।
150 किसान इसी सप्लाई को नियमित करने का निवेदन लेकर आए थे। बंगले पर मौजूद अधिकारी ने बताया कि मंत्रीजी अभी व्यस्त हैं, मुलाकात नहीं हो पाएगी तो किसान वहीं बैठ गए और इंतजार करने लगे। जब किसान वापस नहीं गए तो मंत्रीजी ने अपने ही विभाग के प्रमुख अभियंता जेएस डामोर को बुला लिया।
डेढ़ घंटा लम्बा इंतजार के बाद श्री डामोर आए और किसानों को बंगले से भाग जाने के लिए कहा। किसानों ने जब पानी मांगा तो श्री डामोर ने उन्हे अतिक्रमणकारी बताते हुए जमीन खाली कराने तक की धमकी दे डाली।
सवाल यह है कि पीएचई के अधिकारी कब से अतिक्रमण की नाप और अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने लगे। एनजीटी ने आदेश दिया है, पानी सप्लाई किया जाना चाहिए। यदि वो कहीं कुछ गलत कर रहे हैं तो कुछ रोज पहले तक पानी सप्लाई क्यों किया गया। तब क्या श्री डामोर नौकरी में नहीं थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस तरह किसानों पर प्रेशर बनाकर रिश्वत के लिए दवाब बनाया जा रहा हो।