भोपाल। राजधानी का प्रमुख व्यावयायिक केंद्र एमपी नगर धोखाधड़ी करने वालों का ठिकाना भी बनता जा रहा है। रकम दोगुनी करना, प्लॉट दिलाना, विदेश में रोजगार और घर बैठे ज्यादा पैसे कमाने के ऑफर। ये तमाम काम यहां दुकानों से दफ्तरों में तब्दील होने वाले एक-दो कमरों से संचालित किए जा रहे हैं। बीते नौ महीनों में ही इस तरह से धोखाधड़ी करने की 15 एफआईआर एमपी नगर थाने में दर्ज की जा चुकी हैं।
50 से ज्यादा शिकायतें अभी जांच में हैं। ऐसे में अब पुलिस ने लोगों को ठगने वालों को अपने मकान-दुकान उपलब्ध कराने वाले मालिकों भी आगाह किया है। पुलिस ने भवन मालिकों को चेतावनी दी है कि यदि उनका कोई किराएदार ऐसी धोखाधड़ी करता है तो मामले में उन्हें भी जिम्मेदार मानकर सहआरोपी बनाया जाएगा।
एमपी नगर में दूसरे शहरों से आकर व्यापार करना आसान है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी कर शहर छोड़ दे तो पुलिस के पास उसके पुराने पते पर छापा मारने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता। सीएसपी भारतेंदु शर्मा के मुताबिक इसलिए एमपी नगर जोन-1, जोन-2, मानसरोवर कॉप्लेक्स में दुकानदारों और दुकान मालिकों को आगाह किया जा रहा है। यदि दुकानदार कोई अपराध कर फरार होता है तो दोनों पक्षों को आरोपी बनाया जाएगा। सभी बीट प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र में जाकर दुकानदारों और दुकान मालिकों को बता रहे हैं कि नए या पुराने किराएदार की पूरी जानकारी पुलिस को दें।
रकम दोगुनी करने का झांसा
इंदौर से गिरफ्तार चिटफंड कंपनी के संचालक पुष्पेंद्र सिंह बघेल पर 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी का आरोप है। रकम दोगुनी करने का झांसा देकर उसने सैकड़ों लोगों से अपनी कंपनी साईं प्रकाश ऑर्गेनिक फूड्स लि. और साईं प्रकाश प्रॉपर्टी डेवलपमेंट लि. में ये रकम जमा करवाई। एमपी नगर पुलिस ने उसे बीती 18 जून को इंदौर से गिरफ्तार किया था।
नौकरी के नाम पर एक हजार को ठगा
फाइव स्टार क्रूज में नौकरी दिलाने के नाम पर कंसल्टेंसी कंपनी के संचालकों ने साठ लाख रुपए से ज्यादा ठग लिए। आरोप है कि कंपनी ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर चुके एक हजार से ज्यादा बेरोजगारों को ई-मेल कर नौकरी लगने का झांसा दिया था। देशभर से आए 20 बेरोजगार युवकों ने 26 सितंबर 2014 को एमपी नगर में शिकायत दर्ज करवाई थी।
प्लॉट के लिए पैसे जमा कराकर फरार
भौंरी के एक प्रोजेक्ट में प्लॉट देने के नाम पर फीनिक्स इंफ्रा रियल एस्टेट कंपनी का संचालक मंडल लोगों को धोखा देकर फरार हो गया है। दो साल में प्लॉट की रजिस्ट्री करने का दावा कर आरोपियों ने तीस से ज्यादा लोगों से लाखों वसूल लिए। बीती 5 अप्रैल को एमपी नगर पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर 18 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया।
अभी ऐसे होता है किराएदार का वेरिफिकेशन
मकान या दुकान में नया किराएदार/नौकर रखते समय उसकी पूरी जानकारी एक लिखित आवेदन बनाकर थाने में जमा करानी होती है। इसमें उसका नाम, पता, स्थाई पता, नौकरी और फोटो समेत उसके स्थाई पते के दो पड़ोसियों के फोन नंबर देने होते हैं। पुलिस इस जानकारी के आधार पर उक्त व्यक्ति के निवास से संबंधित थाने में भेजकर उसका वेरिफिकेशन करवाती है।
इस प्रक्रिया में एक हफ्ते तक लग जाते हैं। हालांकि ज्यादातर लोग किराएदारों की जानकारी थाने में नहीं देते। यहां तक कि मकान किराए देने से पहले खुद भी किराएदार के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश नहीं करते।