इंदौर। विभाग किसी भी कर्मचारी का इस तरह का तबादला नहीं कर सकता जिससे पूरा परिवार ही बर्बादी के कगार पर आ जाए। हाईकोर्ट ने कुछ इस तरह का फैसला महिला कर्मचारी शांतिदेवी विरुद्ध मप्र खादी संघ मामले में सुनाया है।
गुरुवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने खादी संघ में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी शांतिदेवी की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील धर्मेन्द्र चेलावत ने पक्ष रखा कि तनख्वाह कम होने के बावजूद विधवा महिला कर्मचारी को परिवार से दूर भोपाल भेज दिया गया। महंगाई की तुलना में तनख्वाह इतनी कम है कि उनका गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी कानूनन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता है।
संघ के वकील ने पक्ष रखा कि महिला कर्मचारी भोपाल में ज्वाइनिंग दे चुकी है। ऐसे में उन्हें भोपाल में ही रहना होगा।
वकील चेलावत ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए स्थगन आदेश दिया था, लेकिन आदेश से पहले ही संघ पदाधिकारियों ने दबाव बनाया और उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देते हुए भोपाल ज्वाइन करवा दिया। मजबूरन उन्हें भोपाल जाना पड़ा। हाई कोर्ट ने तर्कों से सहमत होकर आदेश दिया कि अगर महिला कर्मचारी ने भोपाल में ज्वाइन कर भी लिया है तो भी उनसे इंदौर में ही नौकरी करवाई जाएं।