नई दिल्ली। कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को नवरात्र व फेस्टिवल सीजन भी शुरू हो गया, पिछले तीन सप्ताह से रसोई घर के बुरे दिन चल रहे हैं। पहले प्याज रसोई घर से बाहर हुआ और अब दालों के दाम आसमान छूने लगे हैं। 80 से 90 रुपए प्रति किलो तक बिकने वाले अरहर और माह की दाल के दाम 140 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं।
इस सीजन में खाने- पीने की कई चीजों की जरूरत ज्यादा होगी, लेकिन ड्राई फ्रूट्स से लेकर दलहन तक की आसमान छूती कीमतों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। इसके सभी बड़े कारण जमाखोरी और एडवांस ट्रेडिंग को माना जा रहा है। शहर के लोगों को नवरात्रों के दिनों में अपनी जेब पहले के मुकाबले अधिक हल्की करने पड़ेगी। एक तरह से त्योहार के इस मौके पर बाजार में आग सी लग गई है।
बरनाला के व्यापारी रोहित गोयल ने कहा कि दाल की मंडी के भाव अब दाल के असल खरीददार या बेचने वाले पर निर्भर नहीं करते। अब खाने की चीजों की भी इंटरनेट पर मार्केटिंग होती है। जिस चीज के खरीददार अधिक हो उसी चीज के रेट बढ़ जाते हैं। दाल के दाम चिकन के बराबर जा पहुंचे हैं। 60 से 80 रुपए बिकने वाली दाल अब 130 से 150 रुपए बिक रही है। दाल आम लोगों की पहुंच से दूर हो रही है। आम लोगों के लिए मुसीबतें बढ रही है।
दालों के रेट बढऩे से घर के बजट में काफी फर्क गया है। दाम बढऩे के कारण काफी मुश्किल रही है। रेणुजैन, ग्रहिणी, संगरूरट्टबढ़ रही महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार को नीतियां बनानी चाहिए। सरकार को मजबूत कदम उठाए।
सरकार जमाखोरी पर सख्ती रखेे। जो भी किसी जरूरी चीज की जमाखोरी में पकड़ा जाए उस पर सख्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए। दाल जैसी जरूरी चीज को इंटरनेट ट्रेडिंग से दूर रखना चाहिए। गेहूं की तरह दाल का मूल्य भी सरकार की तरफ से तय किया जाना चाहिए। ऑनलाइन एडवांस ट्रेडिंग के कारण भी दाम बढ़ रहे हैं। जिसे रोका जाना बेहद जरूरी है।