नई दिल्ली। केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में विराजमान भगवान श्री विष्णु के सुप्रभातम का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। यहां दोनेां पक्षों ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। शायद पहली बार सुप्रीम कोर्ट में शास्त्रार्थ हुआ। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि भगवान की पूजा पाठ के लिए रीति रिवाजों का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट नहीं कर सकती। इस विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के मुख्य पुजारी को नियुक्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस में त्रावणकोर शाही परिवार की ओर से केके वेणुगोपाल और एमिकस क्यूरी के तौर पर गोपाल सुब्रमण्यम ने दलीलें पेश कीं। सुनवाई कर रही बेंच के जस्टिस ठाकुर ने कहा भगवान कैसे जागेंगे और किस श्लोक के आधार पर यह हम नहीं तय कर सकते। हम इस बात में जाना भी नहीं चाहते। कोर्ट ने मंदिर के सबसे बड़े पुजारी पर पूरा मामला छोड़ दिया। सुनवाई जस्टिस टीएस ठाकुर और अनिल आर दवे की बेंच ने की।
क्यों खास है यह मंदिर?
2 हजार साल पुराने पद्मनाभस्वामी मंदिर की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। कोर्ट के ऑर्डर पर ही 2011 में मंदिर के तहखाने खोले गए थे। तब एक लाख करोड़ रु. से ज्यादा की प्रॉपर्टी मिली थी। एक तहखाना खोला जाना बाकी है।
क्या हुई कोर्ट में बहस?
गोपाल सुब्रमण्यम: भगवान विष्णु को जगाने के लिए मंदिर में वेंकेटेश सुप्रभातम श्लोक पढ़ा जाना जरूरी है।
केके वेणुगोपालः भगवान चिर निद्रा में हैं। इसे योग निद्रा कहा जाता है। उन्हें सुप्रभातम गाकर नहीं जगाया जा सकता। यह मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के खिलाफ है। जो रीति-रिवाज मंदिर की परंपराओं में शामिल नहीं रहे, उन्हें कमेटी लागू कर रही है। यह दुखद है। इसका बुरा असर पड़ेगा।
सुब्रमण्यम : आप ये श्लोक सुनिए। इसमें पद्मनाभस्वामी का जिक्र है।
कौसल्या सुप्रजा राम पूर्वासन्ध्या प्रवर्तते।
उत्तिष्ठ नरशार्दूल कर्त्तव्यं दैवमाह्निकम्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु॥
मातस्समस्तजगतां मधुकैटभारेः वक्षोविहारिणि मनोहरदिव्यमूर्ते।
श्रीस्वामिनि श्रितजनप्रियदानशीले श्रीवेङ्कटेशदयिते तव सुप्रभातम्॥
वेणुगोपाल : यह वेंकटेश सुप्रभातम है। तिरुमाला में भगवान विष्णु के अवतार वेंकटचलपति के लिए गाया जाता है। वहां भगवान की खड़ी प्रतिमा है। पर पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान निद्रा में हैं। उन्हें जगाने के लिए वेंकटेश सुप्रभातम कैसे गाया जा सकता है।
अदालत: भगवान को किस श्लोक से जगाया जाए, यह आस्था का सवाल है। हम इसे कैसे तय कर सकते हैं। मंदिर के सबसे बड़े पुजारी परमेश्वरन नंबूदरी इसका फैसला करें।
एक दिन शाही परिवार खत्म हो जाएंगे पर तब तक परंपराएं रहेंगी
सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि शाही परिवार को रोज पूजा के लिए आधा घंटा मिला है। पर मंदिर की एडमिनिस्ट्रेशन कमेटी चीफ केएन सतीश इसे छुआछूत मानते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा,'' सतीश क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित न हों। अंतिम फैसला आने तक शाही परिवार को पारंपरिक अधिकार मिलते रहेंगे। उनका सब कुछ तो हम ले चुके हैं। सिर्फ पूजा करने को आधा घंटा छोड़ा है। आप उनसे यह भी छीनना चाहते हैं... उनके पुरखों ने ही मंदिर बनवाया। शाही ठाठ-बाट जा चुका, हो सकता है शाही परिवार भी खत्म हो जाए। पर तब तक परंपराएं जारी रहेंगी।''