मप्र के धर्मगुरू भी शिवराज से नाराज: पुनर्विचार की मांग

भोपाल। प्रदेश में 53 पेड़ों की प्रजातियों को टीपी से मुक्त करने के फैसले से प्रदेश का हर वर्ग नाराज है। इसके खिलाफ सुर तेज होने लगे हैं। सभी धर्मगुरु इसे आस्था के खिलाफ बता रहे हैं। धर्मगुरुओं का कहना है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और पेड़ों को बचाने की चिंता करे। धर्मगुरुओं सहित आम आदमी पार्टी की प्रदेश इकाई ने इस मामले में हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। एक पर्यावरण संगठन ने ग्रीन ट्रिब्यूनल जाने का इरादा जताया है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक टीपी मामले के खुलासे के बाद राज्य सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। मंगलवार को वन मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों ने टीपी प्रकरण से जुड़ी पुरानी प्रक्रियाओं का रिकार्ड देखा है। बताया जाता है कि 53 प्रजातियों के पेड़ों को टीपी मुक्त करने का प्रस्ताव पांच महीने पहले तैयार हुआ था। फिर इसे शासन को भेजा गया। 

धर्मगुरुओं की राय
पीपल को भगवान नारायण का रूप माना गया है। वटवृक्ष विश्वास का प्रतीक है। भगवान शंकर इसके नीचे कथा करते थे। साइंस ने भी सिद्ध कर दिया है कि हर वृक्ष में जीवात्मा होती है। भागवत में भी इसका वर्णण है। सरकार के इस फैसले से कटाई बढ़ेगी। आस्था का प्रतीक होने से ये अपराध भी है। पर्यावरण की दृष्टि से भी हरियाली जरूरी है वरना वर्षा कम होगी। वैज्ञानिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे वापस लेना चाहिए। वरना हम इसे अदालत में चुनौती देंगे।
स्वामी गिरिशानंद सरस्वती
मां नर्मदा सेवा समिति साकेतधाम जबलपुर

दरख्तों का महत्व इस्लाम में भी है, खासकर फलदार दरख्तों का। इन्हें कटने से बचाना चाहिए। सरकार ने यदि किसी सहूलियत के लिए कोई फैसला किया है तो यह सभी पक्षों को देखना होगा कि किसी हाल में इसका दुरूपयोग नहीं हो। भोपाल में ही कितने बाग हुआ करते थे, आज सिर्फ नाम रह गया है।
रईस अहमद
एडिशनल मुफ्ती, भोपाल

मेरे विचार से यह निर्णय ठीक नहीं है। बड़ी संख्या में पेड़ों को टीपी मुक्त करने से लंबे समय के लिए नुकसान होगा।हरे-भरे पेड़ों को बिलकुल नहीं काटना चाहिए। यद्यपि किसी बड़ी विकास योजना में जरूरत हो तब पेड़ कटाई की अनुमति जायज है, अन्यथा निजी भूमि के पेड़ों को कटाई की अनमुति नहीं दी जाए। इस तरह की अनुमतियों से लालच हावी हो सकता है, सरकार को पेड़ लगाने के बारे में सोचना चाहिए।
लियो कार्निलियो 
आर्चबिशप

मेरा ख्याल है कि ऐसे निर्णयों से हरियाली व ऑक्सीजन कम होगी और प्रदूषण बढ़ेगा। पीपल की तो पूजा की जाती है, उसे काटने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। सरकार इस मामले में सख्ती करे और जो निर्णय लिया गया है उसके बारे में दोबारा सोचे। 
जोगिंदर सिंह धीर, 
अध्यक्ष केंद्रीय गुरुसिंघ सभा, मप्र-छग

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