मंत्री, कलेक्टर और डीईओ के लिए वसूली करते हैं शिक्षा अधिकारी

शिक्षा विभाग शायद अकेला ऐसा विभाग है जिसपर कई अधिकारियों और नेताओं की एक साथ नजर रहती है, लेकिन सुधार के लिए नहीं। वसूली के लिए। इन दिनों प्रदेश में प्रभारी बीईओ और प्रभारी बीआरसीसी बनाने का चलन चल पड़ा है। शिक्षा विभाग के ये प्रभारी अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते बल्कि मंत्री, कलेक्टर और डीईओ के लिए वसूली ऐजेंट का काम करते हैं।

आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश भोपाल ने अपने आदेश क्र.768 दिनांक 29/5/2015 व 1187 दिनांक 17/08/2015 से प्रदेश के समस्त कलेक्टर्स व जिला शिक्षा अधिकारियो को निर्देशित किया गया कि विकास खंड शिक्षा अधिकारियों के रिक्त पदों पर उत्कृष्ट स्कूल के प्राचार्य को प्रभारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी वनाया जावे। दोनों पद मुख्यालय के होने के कारण एक व्यक्ति आसानी से देख सकेगा।

प्रदेश के शिक्षा विभाग की बद्तर स्तिथि जग जाहिर है। स्थानीय नेताओं के दवाब मे जिला शिक्षा अधिकारी शासन के आदेश का पालन न करते हुये नेताओ के खास शिक्षक/प्राचार्य जो 20 से 50 किलोमीटर दूर पदस्थ है उनको विकास खंड शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया है। नेताओ के खास अधिकारियो ने पूरे संकुल केन्द्रों पर एक-एक शिक्षक दलाल बना लिए है। जो उगाही कर प्रभारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी को देते है।

प्रभारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी अपने मूल पद जहां से वेतन प्राप्त करते हैं। महीनो जाते ही नहीं है। घर पर ही बैठ कर सभी कार्य करते हैं। यह स्तिथि प्रदेश के 90% जिलो मे है।

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