सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। बालाघाट जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री अनुराग श्रीवास्तव ने 29 सितम्बर 2015 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुये पीडित प्रतिकर योजना 2015 के अतंर्गत कु. रितू खाण्डेकर पिता देवीचरण खाण्डेकर उम्र 17 वर्ष निवासी तिवडीकला थाना हट़टा को 1 लाख 25 हजार रूपये का मुआवजा दिये जाने का निर्णय सुनाया है। पारित आदेश में ये निर्देश दिये गये है कि प्रतिकर हेतु आदेशित राशि में से 25 हजार रूपये आवेदिका को तात्कालिक इलाज एवं उसके पूनर्वास के लिये प्रदान की जावे तथा 1 लाख रूपये आवेदिका के नाम राष्ट्रीयकृत बैंक में 2 वर्षों के लिये फिक्स डिपाजिट की जाये। यह धन राशि आवेदिका को आवश्यकतानुसार उसके इलाज हेतु अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अनुमति से प्रदान की जा सकेगी।
यह आदेश कु. रितू खाण्डेकर द्वारा प्रस्तुत आवेदन अतंर्गत धारा 357(क)दप्रस दिनांक 26 जून 2015 के निराकरण पश्चात दिया गया है। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस लांजी द्वारा एक आवेदन 26 जून 2015 को प्रस्तुत करते हुये कु.रितू खाण्डेकर को मध्यप्रदेश अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना 2015 के अतंर्गत प्रतिकर दिलाये जाने की प्रार्थना की गई थी।
घटना दिनांक 6/7 जून 2015 के दरम्यान रात्रि रितू खाण्डेकर अपने घर की छपरी में सो रही थी तब अभियुक्त शैलेन्द्र हिरवाने ने उस पर तेजाब (एसिड) डाल दिया था जिसके कारण उसका चेहरा झूलसकर विकृत हो गया था और हाथ जल गया था इस घटना की रिपोर्ट रितू द्वारा पुलिस थाना हटटा में दर्ज कराई गई थी जिस पर पुलिस ने धारा 326(क),458,459 आइपीसी एवं धारा 3(1)(11) तथा 3(2)(5) अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अभियुक्त शैलेन्द्र हिरवाने के विरूद्ध पंजीबद्ध कर न्यायालय में विषेश सत्र प्रकरण प्रस्तुत किया था जिसका विचारण जारी है।
यह उल्लेखनीय है कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा धारा 357 दप्रस के तहत लक्ष्मी विरूद्ध भारत षासन 2014(4) में पारित आदेष में यह निर्देष जारी किये थे कि पिडित व्यक्ति को मुआवजे के लिये राज्य सरकारें योजनायें बनाये जिसके आधार पर पिडित पक्ष को मुआवजा प्रदान करने के उददेष्य से मध्यप्रदेष षासन ने मध्यप्रदेष अपराध पिडित प्रतिकर योजना 2015 लागू की यह 31 मार्च 2015 को राज्य पत्र में प्रकाषित हो चुकी है।
इसी योजना के तहत उक्त आदेष पारित किया गया है बालाघाट जिले में इस तरह का यह पहला प्रतिकर प्रदान किया जाने वाला आदेष है।
इस प्रावधान को लागू किये जाने हेतु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रत्येक जिले में गठन किया गया है जिसमें जिला सत्र न्यायाधीष अध्यक्ष एवं कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक को समिति का सदस्य मनोनित किया गया है जो प्राप्त आवेदनों पर अपनी सहमति प्रदान करेगी।
जिला सत्र न्यायाधीष श्री अनुराग श्रीवास्तव ने अवगत कराया की माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेष में एसिड, तेजाब से झूलसने वाले प्रकरणों में विशेष संवेदना बरते जाने कि आवष्यकता निरोपित करते हुये पिडिता का षासकीय एवं अषासकीय निजी चिकित्सालओं में विषेश इलाज निःषुल्क किये जाने हेतु अनिवार्य किया है।