भोपाल। निर्धन नागरिकों को मुफ्त और सामान्य नागरिकों को ना लाभ ना हानि की शर्त पर इलाज उपलब्ध कराने वाले देश के प्रख्यात संस्थान एम्स में भी मुनाफाखोरी सामने आ गई। पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) के लिए मरीजों से 250 रुपए फीस वसूली जा रही है, जबकि जांच का खर्च सिर्फ 25 रुपए आता है।
इस अंतर को कम करने के लिए फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख ने अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि उनके विभाग में रोजाना करीब 25 से 30 मरीजों की पीएफटी जांच होती है। एक जांच पर खर्च 25 रुपए आता है। ऐसे में दस गुना ज्यादा शुल्क वसूलना गलत है।
विभाग प्रमुख डॉ. सुधांशु शेखर मिश्रा का कहना है कि जांच के लिए डिस्पोजेबल माउथपीस और सेंसर को स्टरलाइजेशन की जरूरत पड़ती है, जिसका कुल खर्च महज 25 रुपए है। इस कारण फीस सिर्फ 25 रुपए ही वसूली जानी चाहिए। ज्ञात हो कि एम्स में पीएफटी जांच मुख्यतः पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में होती है, लेकिन मेनपॉवर की कमी के चलते यहां जांचें कम होती हैं। इसलिए एम्स मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी विभाग ने पीएफटी जांच शुरू हुई है।
एम्स दिल्ली के रेट लागू
एम्स भोपाल में जांचों के लिए अलग से दरें तय नहीं हैं। यहां विभिन्न जांचों के वही शुल्क लिए रहे हैं, जो दिल्ली एम्स में लागू हैं। इसमें कई जांचे ऐसी हैं, जिनका शुल्क काफी ज्यादा है, जबकि उन पर आने वाला खर्च काफी कम है।
इसलिए जरूरी है जांच
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट फेफड़े की क्षमता जांचने के लिए होता है। इसमें देखा जाता है कि मरीज कितनी सांस ले पा रहा है और कितनी छोड़ रहा है। टीबी और अस्थमा सहित लंग्स की कई बीमारियों में यह टेस्ट किया जाता है।