भोपाल। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नंदकुमार सिंह चौहान की कृपानियुक्ति का समय समाप्त होेने जा रहा है। उनके समर्थकों को लगता है कि वो शिवराज के प्रिय गण हैं अत: दोबारा मौका मिलेगा परंतु शिवराज विरोधी इस कुर्सी पर संगठन का व्यक्ति बिठाना चाहता हैं। वो चाहते हैं अगला व्यक्ति योग्यता के आधार पर आए कृपा की पात्रता पर नहीं। इसी कशमशक के नंदूभैया की बेलेंस शीट भी तैयार की जा रही है। अब उपचुनावों को तो नंदूभैया अपने खाते में जोड़ नहीं सकते। सब जानते हैं शिवराज ने सीमाएं पार करके ये चुनाव लड़े और जीते। निगम चुनाव भी शिवराज के अकाउंट मेंं जमा हैं। देखते हैं नंदूभैया के अकाउंट का डेबिट क्या क्या है।
- शिवराज का गुणगान खूब गाया लेकिन संगठन महामंत्री अरविंद मेनन से पटरी नहीं बिठा पाए।
- केबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की नियुक्ति के लिए कोई विशेष भूमिका नहीं निभा पाए। जबकि कार्यकर्ता चाहते हैं कि वो संगठन की ओर से सरकार पर दवाब बनाएं।
- दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कर्मचारी और अध्यापकों पर तीखा हमला करते समय मर्यादाओं को ही भूल गए। विवाद बढ़े और बैकफुट पर आना पड़ा। संगठन की छवि को भी नुक्सान पहुंचा।
- प्रदेश में नंदकुमार का रसूख नरेन्द्र सिंह तोमर या प्रभात झा के समकक्ष तक नहीं पहुंच पाया।
- अब तक प्रदेश का दौरा तक नहीं कर पाए। लोग मजाक उड़ाते हैं नंदूभैया की दौड़ सीएम हाउस तक।
- ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं कर पाए जो संगठन में उनकी पकड़ का प्रमाण बन सकता हो।
- व्यापमं मामले में शिवराज के लिए सीना अढ़ाया लेकिन बचाव नहीं कर पाए, उल्टा विवाद में ही फंस गए।
- हां अमित शाह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं का ध्यान अपनी ओर जरूर आकर्षित किया है लेकिन बीजेपी के आम कार्यकर्ता और खासकर जनता की नजर में वो उभरते हुए नेता के तौर पर अपनी पहचान नहीं बना पाए।
- उनकी पहचान शिवराज सिंह चौहान के फालोअर से ज्यादा कुछ नहीं बन पाई।
- सरकार पर पकड़ शिवराज की, संगठन पर अरविंद मेनन की लगातार बनी हुई है। नंदकुमार सिंह की अनिवार्यता ना यहां रही ना वहां बनी।