भोपाल। अदालत में हुए अपमान से दुखी पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर के खिलाफ कंटेम्प्ट पिटीशन दायर कर दी है। इस मामले में सकलेचा की पैरवी करने के लिए जबलपुर में कोई वकील तैयार नहीं हुआ, अत: वो इंदौर से एक वकील को अपने साथ लाए और मामले की सुनवाई भी इंदौर हाईकोर्ट में करने की गुहार लगाई।
मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर ने इस जानकारी की पुष्टि करते हुए बताया कि वे सकलेचा की ओर से सीजे श्री खानविलकर के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि 15 व 16 अक्टूबर को डीमेट मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश श्री खानविलकर ने श्री सकलेचा के साथ बेहद अपमानजनक व्यवहार किया।
उन्होंने तेज स्वर में व्यंग्यात्मक-कटाक्ष करते हुए कहा-''आप हाईकोर्ट में केस की सुनवाई के लिए आए हैं या जींस-टी-शर्ट के साथ झोला लटकाकर किसी बागीचे या पहाड़ पर सैर-सपाटे के लिए आए हैं? इतना कहकर पहले तो पीछे की बेंच में बैठने की हिदायत दी गई और बाद में कोर्ट-रूम से बाहर निकलने कह दिया गया। चूंकि सीजे का रवैया एक व्यक्ति की गरिमा का हनन करने वाला था, अत: श्री सकलेचा द्वारा सीजे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई किए जाने की गुहार के साथ हाईकोर्ट की शरण ले ली गई है।
सुप्रीम कोर्ट की 12 नजीरों का हवाला
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री माथुर ने बताया कि श्री सकलेचा की कंटेम्प्ट पिटीशन में सुप्रीम कोर्ट की 12 नजीरों का हवाला दिया गया है। इसके साथ ही सीजे पर संविधान के अनुच्छेद- 21 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। याचिका में इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि डीमेट मामले की सुनवाई के दौरान श्री सकलेचा ने एक लिखित आवेदन दिया था, जिसे पहले तो अपने पास रख लिया गया, लेकिन बाद में वापस कर दिया गया। किसी केस की सुनवाई के दौरान नियमानुसार प्रस्तुत की गई अर्जी या तो खारिज की जानी चाहिए थी या फिर स्वीकृत। चूंकि ऐसा नहीं किया गया अत: सीजे का यह रवैया भी कठघरे में रखे जाने योग्य है।