नईदिल्ली। गुजरात उच्च न्यायालय ने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि बहकावे में आकर बन गए शारीरिक संबंध व्यभिचार की श्रेणी में नहीं माने जा सकते परंतु यदि आप जानते हैं कि यह क्या करने जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में एक मात्र विवाहेतर संबंध भी व्यभिचार है।
व्यभिचार के आरोप से घिरी एक पत्नी द्वारा मांगे गए गुजारे-भत्ते के मामले में उच्च न्यायालय ने ये टिप्पणी की है। पत्नी ये स्वीकार कर चुकी है कि पति के अतिरिक्त एक अन्य व्यक्ति के साथ भी लंबे समय तक उसके शारीरिक संबंध रहे।
निचली अदालत ने अपने आदेश में उसके बच्चे को गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया है, जबकि खुद उसे गुजरा-भत्ता पाने के योग्य नहीं माना है। गुजरात उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले का समर्थन किया है।
ये मामला गुजरात के पाटन जिले का है। व्यभिचार के आरोप से घिरी एक महिला ने निचली अदालत में गुजारे-भत्ते के लिए मुकदमा दायर किया था। हालांकि वहां वह मुकदमा हार गई और सत्र न्यायालय का रुख किया।
सत्र न्यायलय ने भी उसे विवाहेतर संबंध का दोषी मानते हुए गुजारा-भत्ता देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में सत्र न्यायालय ने कहा कि कभी-कभार अंजाने में हो गई एक-दो गलतियों को माफ किया जा सकता है।
'कभी-कभी ऐस हालात बन जाते हैं, जिसके बाद युवा, जबकि उनके दिमाग में किसी प्रकार विचार होता नहीं है, अंतरंग हो जाते हैं लेकिन एक पत्नी या पति का किसी अन्य व्यक्ति के साथ, पूर्वनिर्धारित या पूर्वनियोजित शारीरिक संबंध, भले वह एक बार हुआ हो, व्यभिचार है।'