सुशील शर्मा। कूर्म पुराण के अनुसार धरती पर स्त्री का जीवन नवदुर्गा के स्वरूपों में प्रतिबिंबित है। जन्म ग्रहण करनेवाली कन्या का रूप शैलपुत्री ,कौमार्य तक ब्रह्मचारिणी ,विवाह के पूर्व तक षोडशी चन्द्रघंटा ,नए जीवन को धारण करनेवाली कूष्माण्डा ,संतान को जन्म देने वाली स्कंदमाता ,संयम और साधनारत कात्यायनी , पति की अकारण मृत्यु को जीतने वाली कालरात्रि ,संसार का उपकार करनेवाली महागौरी एवं सर्वसिद्धि प्रदायनी सिद्धिदात्री हैं।
- नवदुर्गा साधना में विहित कार्य :
- सच्चे मन से अपनी एक बुराई को दूर करने का संकल्प लें।
- धार्मिकता का अर्थ अन्धविश्वास नहीं होता है। अपने आसपास में अगर आपको लगता है की अन्धविश्वास पनप रहा है तो उसे दूर करने का संकल्प लें।
- प्रतिदिन एक समाज उपयोगी कार्य अवश्य करें।
- अपने घर के वातावरण को प्रेममय बनाएं,मातृ स्वरूपा माँ ,बहिन एवं अन्यान्न महिला संबंधियों को उनके रिश्ते के आधार पर सम्मान एवं आदर भेंट करें।
- प्रकृति का स्वरुप ही जगदम्बा हैं। अतः इन नौ दिनों में प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें। इन दिनों देखा जाता है की लोग फूल पेड़ और पौधों को विशेष करपुष्प के पौधों विल्व पत्र एवं शमी के पौधों को बेरहमी से नोचते हैं ये भी माँ भगवती के ही अंग प्रत्यंग है। इन्हे नुकसान पहुंचा कर आप अपनी साधना को सफल नहीं कर सकते हैं।
- प्रतिदिन मंदिर में जा कर माँ के समक्ष जनकल्याण एवं देश कल्याण की कामना करें।
- माँ से अपने लिए कुछ न मांगे। माँ आपकी हर स्थिति से परिचित हैं आप सिर्फ माँ का सानिध्य मांगे। जब माँ पास होगी तो आप को कई कठनाई छू भी नहीं सकती।
- जो भी भोग माँ को समर्पित करे उसका सिर्फ एक भाग बचा कर बांकी गाय और गरीब को दान कर दें।
- नौ दिन तक सदाचार से रहे मानसिक एवं शारीरिक रूप से किसी का मन न दुखाएं।
- सात्विक आहार से व्रत का पालन करने से शरीर की शुद्धि एवं मन क्रम वचन से पवित्रता धारण होती है।