श्योपुर। एक नदी, एक सेंचुरी लेकिन पर्यटन सुविधाओं में जमीन-आसमान का अंतर। जी हां, बात हो रही चंबल सेंचुरी की। जहां राजस्थान की सीमा में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मोनो ट्रेन चलाने की तैयारी है, लेकिन मप्र के हिस्से में घाट ही पक्के नहीं बन सके हैं। सेंचुरी में पर्यटकों के लिए न गेस्ट हाउस हैं और न ही आकर्षण के लिए म्यूजियम।
घड़ियालाें व जलीय जीवों के संरक्षण के लिए श्योपुर जिले के पाली घाट से उप्र के चकर नगर तक 435 किलोमीटर में चंबल नदी को वर्ष 1975 में राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया गया था। सरकार ने इसके मध्य में स्थित जिले मुरैना में तो देवरी घड़ियाल केंद्र बना दिया गया, लेकिन श्योपुर जिले की सीमा में 40 साल बाद भी कोई पर्यटन सुविधा विकसित नहीं हो पाई है। चार साल पूर्व चंबल सफारी प्रोजेक्ट बनाया भी गया, लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया।
यह है स्थिति
राजस्थान के चंबल अभयारण्य में रामेश्वर पर परशुराम घाट बना हुआ है।
राजस्थान में पर्यटन के साथ ही चतुर्भज नाथ जी का मंदिर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देता।
पाली घाट पर भी राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन सुविधाएं विकसित की है और बोटिंग होती है।
मध्यप्रदेश के रामेश्वर और पाली घाट पर पक्के घाट भी नहीं बने हैं।
मध्यप्रदेश की सीमा पर चंबल किनारे पहुंचने के लिए रास्ते भी नहीं हैं।
मध्यप्रदेश के रामेश्वर त्रिवेणी संगम तक पहुंचने के लिए हाईवे निर्माण तीन साल से अधूरा है।
रामेश्वर में चलेगी मोनो ट्रेन
राजस्थान की सीमा में चंबल अभयारण्य में राजस्थान सरकार ने न सिर्फ पाली और रामेश्वर घाट पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की हैं, बल्कि चंबल में बोटिंग के साथ ही रामेश्वर घाट पर मोनो ट्रेन चलाने की भी तैयारी है। रामेश्वर में परशुराम घाट से चतुर्भुज नाथ मंदिर तक मोनो ट्रेन चलाई जाएगी।
वनमंत्री ने किया था सफारी का शुभारंभ
पाली से रामेश्वर घाट तक चंबल सफारी प्रोजेक्ट के तहत 18 नवंबर 2011 को तत्कालीन वनमंत्री सरताज सिंह ने बोट सेवा का शुभारंभ किया था। हालांकि चार साल बाद भी चंबल सफारी में बोटिंग तो दूर एक कदम भी सरकार पर्यटन की दिशा में आगे नहीं बढ़ सकी।
सुविधाएं मिलें तो बन सकता है टूरिस्ट सर्किट
राजस्थान के साथ जिले की सीमा में भी चंबल अभयारण्य क्षेत्र में पर्यटन सुविधा विकसित हों और पर्यटक आने लगे तो श्योपुर टूरिज्म कॉरीडोर की एक मुख्य कड़ी बन सकता है। इसके तहत दिल्ली से रवाना होने वाला पर्यटक भरतपुर के केवलादेव पक्षी अभयारण्य, करौली के कैलादेवी अभयारण्य, रणथम्भौर के टाइगर रिजर्व, श्योपुर के चंबल अभयारण्य, श्योपुर के कूनो अभयारण्य, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क होते हुए ग्वालियर हैरिटेज सिटी, खजुराहो और ओरछा, खजुराहो तक पहुंच सकता है।
हमें बोट नहीं मिली है इसके लिए डिमांड भी की है
हां, चंबल सफारी शुरू होनी थी, लेकिन अभी हमें बोट नहीं मिल पाई है। इसके लिए हमनें डिमांड भी की है। रही बात अन्य पर्यटन सुविधाओं की तो फिलहाल ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं हैं।
जीएल जोनवार, एसडीओ, चंबल अभयारण्य