उज्जैन। नवरात्र में महाअष्टमी पर जहां घरों में माता के भक्त ने कुलदेवी का पूजन किया, वहीं उज्जैन प्रशासन द्वारा महाअष्टमी के महापर्व पर नगर पूजा का आयोजन किया गया। कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में सुबह 7 बजे गुदरी चौराहा स्थित चौबीस खंभा माता मंदिर में मदिरा की धार चढ़ाकर नगर पूजन की शुरुआत की। यह मंदिर विश्व का शायद एक मात्र ऐसा मंदिर हैं, जहां आज के दिन माता को मदिरा चढ़ाई जाती है। इसके बाद महाअष्टमी पर शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर पर दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा हुई। यह नगर पूजा अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर रात 8 बजे समाप्त होगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्त पूजा में शामिल हुए।
ढोल-ढमाकों से शुरू हुई पूजा
ढोल-ढमाकों के साथ गुदरी स्थित चौबीस खंभा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत हुई। कलेक्टर ने मदिरा की धार चढ़ाकर पूजा शुरू की। यह पूजा माता, भैरव व हनुमान मंदिर मिलाकर कुल 40 मंदिरों में होगी। 26 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद संपन्न होने वाली इस पूजा में 5 किलो सिंदूर, दो डिब्बे तेल, 25 बोतल मदिरा सहित 39 प्रकार की विशेष पूजन सामग्री रखी गई है।
इसलिए चढ़ती है शराब
महाकाल वन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजित माता महामाया व माता महालाया चौबीस खंभा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां पर मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के पुराने खंभे हैं, इसीलिए इसे 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह उज्जैन नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था। पहले इसके आसपास परकोटा या नगर दीवार हुआ करती थी। तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जयिनी के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं। चौबीस खंभा माता भी उनमें से एक हैं। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। नगर की सीमाओं पर स्थित इन देवी मंदिरों में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर की सुरक्षा के लिए पूजन और मदिरा चढ़ाए जाने की परंपरा चली आ रही है।