टीकमगढ। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यहां हुए ऋण माफी घोटाले में जांच तो बड़े जोरशोर से हुई थी परंतु उसके बाद सबकुछ शांत हो गया। ताज्जुब तो इस बात का है कि कांग्रेस ने भी इस मामले को ना उठाने की कसम सी खाली है।
यहा आपको बता दें बर्ष 2008 मे देश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रधान मंत्री डाॅ मनमोहन सिंह ने देश के खजाने से मध्य प्रदेश के किसानों के लिये ऋण राहत योजना के तहत करोडो की राशि मध्य प्रदेश सरकार को अंतरण की थी। ताकि जिन किसानो के नाम सोसायटी मे कर्ज है। उन्हे इस राशि से ऋण राहत दी जाये और किसानो को ऋण मुक्त किया जाये।
जिला के सहकारिता विभाग के अधिकारियो ने समिति प्रबंधको से मिलकर तत्कालीन केन्द सरकार द्वारा दी गई राशि को डाकर गये। समिति प्रबंधको ने किसानो के नाम फर्जी ऋण दिखाकर राशि हडप ली इन समितियो की जाॅच की गई। जिसमे दोषी समिति मैदवाारा समिति प्रबंधक 1861342.चन्देरा समिति प्रबंधक ने 180260.स्यावनी समिति प्रबंधक ने 22746.महेवा चक्र समिति प्रबंधक ने 278087. कुल राशि 2342435. की राशि जाॅच मे गबन पायी गई।
इसके बाबजूद समिति प्रबंधको पर कोई कार्रबाई नही हुई जबकि जिला मे 87 समितिया हैं। शेष समितियो की अगर जाॅच की जाये तो करोडो का घोटाला सामने आ जायेगा। अनुमानित यह राशि 365 करोड के लगभग है। प्रदेश मे टीकमगढ मे जिन किसानो के नाम ऋण दिखाया गया हे। उन्हे आज तक पता तक नही है और उन्हे आज तक ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र नही दिया गया हे। इसकी समय समय पर जागरुक किसानो ने शिकायत की लेकिन शिकायत पर जाॅच करने की जगह दवाया जा रहा हे। जिससे समिति प्रबंधक करोडपति बन गये और मौज मस्ती कर रहे है।
अब सबाल उठाया जा रहा हे। कि मध्य प्रदेश मे दिन प्रतिदिन घोटाले पर घोटाले सामने आ रहे हे। काग्रेस पार्टी केबल व्यापंम घोटाला तक सीमित रह गई। काग्रेस के नेता पूर्व मंत्री यादवेन्द्र सिंह बुन्देला व बृजेन्द्र सिंह राठौर सहित वरिष्ठ नेता केके मिश्रा इस किसान घोटाला को क्यो नही उठा रहे हैं। क्या वो किसान विरोधी हैं क्योकि किसान घोटाला मे समिति प्रबंधक सें लेकर डीआर टीकमगढ सहित सहकारिता मंत्री सचिव तक कमीशन पहुॅचा है। इसीलिये शिकायत पर जाॅच की जगह पर्दा डाला जा रहा है।