भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वीकार कर लिया है कि मप्र का खजाना खाली हो गया है और सूखे से निपटने के लिए 10 हजार करोड़ की जरूरत है। कर्ज लेने के अलावा अब कोई रास्ता शेष नहीं रह गया है। मप्र के लिए यह संकट का साल है।
मप्र में आर्थिक आपातकाल की ये बातें मुख्यमंत्री के अभिनंदन समारोह में हो रहीं थीं। खुद शिवराज सिंह मंच से बयां कर रहे थे। अभिनंदन समारोह का आयोजन मप्र सचिवालयीन कर्मचारी संघ और मप्र लिपिकवर्गीय कर्मचारी संघ ने किया था। यह जश्न शिवराज सिंह के बतौर मुख्यमंत्री 10 साल पूरा होने पर आयोजित किया गया था।
पैसों की तंगी का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि यह संकट का साल है, लेकिन किसी तरह इसे निकाल लिया जाएगा। अफसरों को कहा गया है कि पैसे नहीं हैं तो प्रबंध करें, इसमें छिपाने जैसी कोई बात नहीं है कि पैसों के इंतजाम के लिए कर्ज लिया जा रहा है। सूखा राहत, बीमा, बिजली के बिल आदि के चलते मामला तीन-चार हजार करोड़ नहीं, बल्कि दस हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।