सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। अपने बीमार पिता की रोज-रोज की चिकचिक से परेशान बेटे ने अपने बीमार पिता की हत्या कर दी। हत्या करने के बाद पिता की लाश को फांसी पर टांग दिया और आत्महत्या करार देने का प्रयास किया परंतु राजफाश उस समय हो गया जब पुलिस को पता चला कि पिता तो लकवाग्रस्त था।
लांजी थाना प्रभारी प्रवीण धुर्वे ने अवगत कराया की 28 सितम्बर को मृतक की पत्नी कांता बाई ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पति चमारूलाल का शव युवराज खोब्रागडे की छत पर फंदे से लटका हुआ है।
जांच के दौरान पता चला की चूंकि चमारूलाल लकवे की बिमारी से ग्रस्त था इसके चलते वह आत्महत्या नही कर सकता। शक के आधार पर मृतक के पूत्र घनश्याम वामनकर से पूछताछ की तो उसने अपने जीजा चन्द्रकांत बारबुदे के साथ 27 सितम्बर की रात्रि में ही पिता की हत्या कर देने की बात स्वीकार की तथा शव को युवराज के घर में लटका दिया जाने की जानकारी दी। इस आधार पर दोनों को धारा 302, 201 के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफतार कर लिया है।
थाना प्रवीण धुर्वे ने अवगत कराया की मृतक द्वारा लकवे से पीड़ित होने एवं चिडचिडा ने और गाली गलौच करने से तंग आकर पुत्र घनश्याम बावनकर ने अपने पिता की हत्या करने की योजना बनाई और रात्रि 12 बजे उसके पिता सो रहे थे तभी जहर पिला दिया इसके बाद दामाद चन्द्रकांता द्वारा चमारूलाल का मुंह दबाकर रखा गया जिसके कारण वह अधमरा सा हो गया। तो इसके बाद उन्होने फर्जी सुसाइड नोट बनाया और मृतक की जेब में डाल दिया।
उन्होने चमारूलाल को युवराज की छत में ले गये जहां लोहे की छड में शाल का फंदा बनाकर उसमें लटका दिया और दूसरे दिन फांसी लगाने की शिकायत दर्ज कराई।