नई दिल्ली। पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। पूरी दुनिया पर नजर रखने वाली अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के एक अफसर ने ये कहकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। पाकिस्तान को सबसे खतरनाक कहने के पीछे एक खतरनाक त्रिकोण है। ये वही पाकिस्तान है जो उस आतंकवाद को पाल पोस कर बड़ा कर रहा है, जिसके चलते उसे पिछले 11 सालों में करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लेकिन पाकिस्तान आतंकवाद और परमाणु हथियार, दोनों के जुनून में डूबा हुआ है।
कई देशों में सीआईए की आंख-कान रह चुके तेज तर्रार अफसर केविन हलबर्ट ने 2014 में रिटायर होने के बाद इस पाकिस्तान के बारे में दो टूक बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है, क्योंकि वहां तीन खतरों का त्रिकोण है। पहला आतंकवाद, दूसरा बहदहाल अर्थव्यवस्था और तीसरा तेजी से बढ़ते परमाणु हथियार। जाहिर है ऐसे में अमेरिका को ये समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान उसके लिए आफत और चिंता का सबब बन सकता है। अच्छा लगे या बुरा, पाकिस्तान इस वक्त एक बैंक या एक ऐसी कंपनी जैसा है जो अगर दीवालिया हुई तो दुनिया की अर्थव्यवस्था में भूचाल आ जाएगा। इसी वजह से वो अब तक टिकी हुई है।
मौजूदा समय में दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बन चुका है पाकिस्तान पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। पूरी दुनिया पर नजर रखने वाली अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के एक अफसर ने ये कहकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है।
हलबर्ट कहते हैं कि आतंकवादी गुट खासकर लश्कर-ए-तैयबा अचानक ही अल-कायदा के साथ खड़ा नजर आ रहा है, जबकि लश्कर-ए-जंगवी, पाकिस्तान तालिबान, अफगान तालिबान, द अफगान तालिबान और दूसरे अपराधी और गैर सरकारी गुट मिलकर पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश में हैं। ऐसे में जहां पाकिस्तान की हुकूमत घबराहट में है, वहीं फौज अपनी अहमियत बढ़ाती जा रही है। सीआईए के पूर्व अफसर का साफ मानना है कि एक तो आतंकवादियों की पूरी फौज, उस पर मुल्क में बढ़ते परमाणु हथियार। वो परमाणु हथियार जिनकी सुरक्षा की गारंटी देना भी मुश्किल है। पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस ऐसा देश है, जहां कट्टरपंथ हावी है। जहां जम्हूरियत यानि लोकतंत्र है जरूर लेकिन जहां फौज के तख्ता पलट का इतिहास है।
खतरे की बात ये है कि पाकिस्तान की कौम का एक बड़ा हिस्सा तालिबान और दूसरे आतंकी धार्मिक जेहादी गुटों को खतरनाक मानती ही नहीं। बल्कि वो तो उन्हें मजहबी जिम्मा निभाने वाले खुदा का नेकमंद फौजी मानता है। पाकिस्तान में अल-कायदा के खिलाफ जंग को भी अमेरिकी जंग समझा गया न कि खुद पाकिस्तान की जंग। पाकिस्तान ने ऐसे कट्टरपंथी तत्वों पर सख्ती नहीं की और इसी वजह से उसने खुद ही राक्षस पैदा कर लिए। आज पाकिस्तान मुसीबत में है क्योंकि आज वहां कट्टरपंथी गुटों में कोई खास अंतर नहीं रह गया है।
साफ है सीआईए भी मानता है कि पाकिस्तान ने खुद ऐसे राक्षस पैदा कर लिए हैं जो मुमकिन हैं कल को तख्ता पलट कर हावी हो जाएं। ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं। 2007 में तहरीक-ए-तालिबान के कामरा एयरबेस पर हमले के बाद से ऐसी आशंकाएं अक्सर सिर उठाती रही हैं कि आतंकवादी परमाणु हथियारों पर कब्जे की कोशिश कर सकते हैं। सीआईए के पूर्व अफसर केविन हलबर्ट की मानी जाए तो पाकिस्तान को सबसे खतरनाक मुल्क बनाने के पीछे उसकी दरिद्रता भी है। उसकी अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है। अवाम की बेहतरी के लिए योजनाएं हों या फिर विकास कार्य, सरकार की प्राथमिकता पर है नहीं। उलटे आतंकवाद ने उसकी कमर तोड़ कर रख दी है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पिछले 11 सालों में आतंकवाद के चलते करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 के मुताबिक इतनी रकम में तो 134 सालों तक पाकिस्तान का शिक्षा बजट चलाया जा सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अकेले 2013-14 में आतंकी हमलों की वजह से 6.63 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। कर वसूली 38 फीसदी घट गई तो विदेशी निवेश में 30 फीसदी की भारी कमी आई। आतंकवाद के चलते उत्पादन में भी रुकावट आई, निर्यात में देरी हुई, महंगाई तक बढ़ गई।