पटना। अखबारों में भले ही आपको मोदी, नीतीश और लालू लड़ते हुए दिखाई दें परंतु बिहार चुनाव के परिणाम तो आरएसएस ने पहले से ही तय कर लिए हैं। संघ ने जुलाई से लेकर सितम्बर तक चलाए सदस्यता अभियान में 35 फीसदी की ग्रोथ रिकार्ड कर ली है।
संघ के लिए बिहार में मजबूत जमीन बनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी बतौर प्रचारक बिहार में काफी वक्त बिताया है और बिहार जीतना अनिवार्य था। यदि बिहार में भाजपा हार जाती तो मोदी की इमेज पर काफी नेगेटिव इफैक्ट पड़ने वाला था।
ये है आंकड़ा
2013 में संघ में 5 लाख लोग शामिल हुए।
2014 के चुनावी साल में 40 से कम आयु के करीब 6 लाख लोग संघ से जुडे।
2013 में 13-40 साल के लगभग 80000 लोग संघ के ट्रनिंग कैंपों में शामिल हुए और 2014 में ये संखया 1.15,000 तक जा पहुंची।
2014 के पहले 6 महीनों में बिहार में हर महीने औसत ऑनलाईन आवेदनों की संख्या 280 थी लेकिन जुलाई से सितंबर तक ये संख्या बढती हुई 727 तक जा पहुंची।
इस वक्त हर महीने की राष्ट्रीय औसत 6000 से 8000 रही।
संघ में शामिल होने के लिए आवेदनों की संख्या 2012 मे 1000 से बढती हुई 2013 में 2500 तक जा पहुंची और 2014 में तो ये संख्या 7000 थी।