रायपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर में एक युवती की लाश पिछले 30 घंटों से अंतिम संस्कार का इंतजार कर रही है। ग्रामीण उसकी शवयात्रा में शामिल होने को तैयार नहीं है। श्मशान घाट पर उसे जलाने के लिए दो गज जमीन नहीं दी जा रही। पंचायत ने 13000 रुपए मांगे हैं, नहीं मिले तो लाश सड़ जाएगी लेकिन जलाई नहीं जा सकेगी।
मृतका 2 साल पहले मानव तस्करी की शिकार हुई थी। गांव के ही एक युवक ने उसे दिल्ली में 45 हजार रुपए में बेच दिया था। बाद में मीडिया की पहल के बाद जब वह अंधेरी दुनिया से आजाद हुई तो उसे गांव के एक युवक से प्रेम हो गया। इसी प्रेम प्रसंग के चलते ग्रामीणों ने उसे और उसके परिजनों को समाज से बाहर कर दिया था।
मृतिका की मां का कहना है कि सुसाइड करने से एक दिन पहले मृतिका और उसका प्रेमी भीम ताम्रकार दोनों साथ थे, लेकिन उनके बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। झगड़े के बाद भीम अकेले अपने गांव आ गया, जबकि युवती शाम करीब 4 बजे घर वापस आई और रोते हुए अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया।
शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे तक भी जब उसके रूम का दरवाजा नहीं खुला तो घर के लोग परेशान हो गए। बाद में जब उन्होंने घर के अंदर झांक कर देखा तो युवती फांसी के फंदे पर झूलती नजर आई। यह खबर गांव में जगंल में आग की तरह फैल गई और लोग यहां जमा होने लगे।
पुलिस जांच के बाद जब युवती के शव के अंतिम संस्कार की बात सामने आई तो ग्रामीणों ने इसमें शिरकत करने से मना कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि समाज के किसी सदस्य को बहिष्कार करने के बाद उसे दोबारा समाज में शामिल करने के लिए 13,000 रुपए का सामाजिक दंड भरना जरूरी होता है।
युवती के मां बताया कि उसके पति अन्तरेश के 2 सालों से बीमार रहने के कारण घर में पहले से ही खाने के लाले पड़े हैं। अब ऊपर से 13,000 रुपए का सामाजिक जुर्माने का भारी बोझ सहना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया है।