भोपाल समाचार के पाठको के लिये सप्ताह मे एक दिन संक्षिप्त सामान्य ज्ञान की जानकारी प्रकाशित की जा रही है। अतः पाठकगण इसके सन्दर्भ मे अपनी प्रतिक्रिया रुचि अभिरुचि से अवगत करा सकते है। एवं और क्या परिवर्तन की आवश्यकता है। अपने सुझाव भोपाल समाचार डाॅट काॅम पर प्रेषित कर सकते है।
यजुर्वेद-
सस्वर पाठ के लिये मंत्रो तथा बलि के समय अनुपालन के लिऐ। नियमो का संकलन यजुर्वेद कहलाता है। इसके पाठकर्ता को अध्वर्यु कहते है। यह एक ऐसा वेद है। जो गद्य एवं पद्य दोनो में है।
सामवेद
सामवेद गायी जा सकने वाली ऋचाओ का संकलन है। इसके पाठकर्ता को उद्रतृ कहते है। इसे भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद ऋषि द्रारा रचित इस वेद मे रोग, निवारण, तंत्र, मंत्र, जादू, टोना, शाप, वशीकरण, आर्शीवाद, स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, बिबाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि, महात्मय, आदि। विविध विषयो से संबद्ध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यो के विचारो, विश्वासो, अंधविश्वासो,इत्यादि का वर्णन है।
इसमे सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रिया कहा गया है।
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।
वेदो को भलीभाति समझने के लिये छःवेदागो की रचना हुई है। जो इस प्रकार है। शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, तथा छंद।
सस्कृत साहित्य मे ऐतिहासिक घटनाओ को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हण के द्रारा किया गया।
कल्हण द्रारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है। जिसका संबंध कश्मीर के इतिहास से है।
अरबो की सिंध विजय का वृतांत चचनामा लेखक अली अहमद मे सुरक्षित है।
अष्टाध्यायी संस्कृत भाषा व्याकरण,की प्रथम पुस्तक के लेखक पाणिनी है।
कत्यायन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रन्थ है। फिर भी इसमें भारत पर होने बाले यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
पंतजलि पुष्यमित्र- शुंग के पुरोहित थे। इनके महाभाष्य से शुंगो के इतिहास का पता चलता है।
टेसियसः- यह ईरान का राजबैद्य था।
हेरोडोटसः- इसे इतिहास का पिता कहा जाता है।