नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वर्ण मौद्रिकरण योजना सुपर फ्लॉप हो गई है। उनके अपने नजदीकी लोगों ने भी इस योजना में इंट्रेस्ट नहीं लिया। पूरे देश में अब तक केवल 400 ग्राम गोल्ड आकर्षित हुआ है। मोदी इस योजना के बहाने 52 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का करीब 20,000 टन सोना देश में घरों एवं मंदिरों से बाहर निकालना चाहते थे।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के उत्तरी क्षेत्र के चेयरमैन अनिल संखवाल ने कहा कि स्वर्ण मौद्रिकरण योजना के तहत अभी तक 400 ग्राम सोना जमा किया गया है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास से मुलाकात की और स्वर्ण जांच के लिए और केन्द्र खोलने के उपायों पर चर्चा की।
संखवाल ने कहा कि यदि 13,000 बीआईएस प्रमाणित जौहरियों को संग्रह एजेंट के तौर पर काम करने की अनुमति दी जाए तो मुझे उम्मीद है कि यह योजना अच्छे ढंग से सिरे चढ़ेगी। इस बैठक में रत्न एवं आभूषण उद्योग के अलावा रिजर्व बैंक, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), एमएमटीसी और निजी बैंकों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
ईओयू व सेज के लिए निर्यात संवर्धन परिषद के वाइस चेयरमैन एवं पीपी ज्वेलर्स के सीईओ राहुल गुप्ता ने कहा, ‘‘हमने बीआईएस के यहां पंजीकृत आभूषण निर्माताओं को सोने के लिए संग्रह केन्द्र के तौर पर काम करने की अनुमति देने का वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है।’’ वर्तमान में देश में 3.5 लाख ज्वेलर्स है जिसमें से 13,000 बीआईएस प्रमाणित हैं। वित्त मंत्रालय ने उन्हें परीक्षण केन्द्रों के तौर पर पात्र बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, दिसंबर तक स्वर्ण शुद्धता परीक्षण केन्द्रों की संख्या 55 हो जाएगी जो मौजूदा समय में 29 है। साथ ही स्वर्ण रिफाइनरी की संख्या भी मौजूदा चार से बढ़कर 20 हो जाएगी।