भोपाल। मप्र में अपनी विधानसभा को सूखाग्रस्त घोषित कराने में विधायकों के पसीने निकल रहे हैं, वहां यूपी में 67 प्रतिशत उत्तरप्रदेश को सूखा घोषित कर दिया गया। इसमें यूपी के 75 में से 50 जिले आते हैं।
आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार सूखाग्रस्त घोषित जिलों में संत रविदासनगर, सोनभद्र, सुलतानपुर, मिर्जापुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, शाहजहांपुर, बांदा, प्रतापगढ़, चन्दौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोण्डा, कन्नौज, बाराबंकी, संतकबीरनगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फर्रूखाबाद, मऊ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महराजगंज, आगरा, औरैया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, रायबरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशाम्बी, फतेहपुर, अम्बेडकरनगर और बलरामपुर शामिल हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सूखाग्रस्त घोषित होने वाले जिलों में जिलाधिकारियों द्वारा सूखे से निपटने के लिए बनाई गई कार्य योजना के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। राजस्व, सिंचाई, पंचायतीराज, ऊर्जा, ग्राम्य विकास, कृषि, खाद्य एवं रसद, समाज कल्याण, संस्थागत वित्त, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, पशुधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, नगर विकास, जल निगम, मत्स्य एवं उद्यान द्वारा सूखाग्रस्त जिलों में सूखे से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए विभागीय स्तर पर हर सम्भव राहत कार्य किए जाएंगे तथा इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को विशेष रूप से क्रियान्वित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में कम वर्षा की स्थिति की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में सूखे से सम्बन्धित विभागों के साथ गत दो सितम्बर को बैठक करके सिंचाई, ऊर्जा, लघु सिंचाई एवं कृषि विभाग को विशेष रूप से 15 दिन की अवधि तक निरन्तर समीक्षा करते रहने तथा सिंचाई एवं बिजली की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। कुछ जिलों में सामान्य से 60 फीसदी तक कम वर्षा हुई है। कई इलाकों में तो किसानों ने धान, चरी और दलहन की खडी फसलों को काट कर जानवरों को खिला दिया। फसलों में बारिश नहीं होने की वजह से कई तरह के रोग लगने शुरु हो गए थे।