नईदिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें आने से पूर्व ही आईएएस और अन्य सेवाओं के अफसरों के बीच घमासान छिड़ गया है। आईएएस अधिकारियों की तरफ से कार्मिक मंत्रालय और वेतन आयोग को सैकड़ों पत्र भेजे जाने के बाद आईपीएस और अन्य सेवाओं की एसोसिएशनों ने भी विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है।
आईपीएस एसोसिएशन ने कहा कि रिपोर्ट आने से पूर्व आईएएस अधिकारियों को इससे बचना चाहिए। एसोसिएशन ने विरोध के लिए दो ट्विटर एकाउंट भी बनाए हैं।
दरअसल, वेतन आयोग की रिपोर्ट करीब-करीब तैयार है और जल्दी ही सरकार को सौंपी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इस रिपोर्ट में आईपीएस एवं अन्य सेवाओं के अधिकारियों को भी वेतनमान और प्रोन्नति के मामले में आईएएस के समकक्ष लाने की कोशिश की जा रही है।
अनौपचारिक रूप से यह सूचना बाहर आने के बाद आईएएस अधिकारियों की तरफ से बड़े पैमाने पर वेतन आयोग और कार्मिक मंत्रालय के सचिव को पत्र भेजे गए हैं जिसमें इस प्रयास का विरोध किया गया है।
सोमवार को आईपीएस सेंट्रल एसोसिएशन ने इस कृत्य पर कड़ा प्रतिरोध जताया।एसोसिएशन के सचिव वेंकटा शास्त्री ने कहा कि जब रिपोर्ट बन रही है तो इस तरह की हरकत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वेतन कमीशन के समक्ष सबको अपनी बात रखने का हक है और वे अपने लिए बेहतर मांग कर सकते हैं लेकिन किसी दूसरी सेवा को मिल रही सुविधा का विरोध करना सही नहीं है।
इसी प्रकार कंफडरेशन ऑफ सिविल सर्विस एसोसिएशन ने भी इस बार में वेतन आयोग को पत्र लिखकर आईएएस अफसरों के विरोध को अनुचित ठहराया है। आईपीएएस एवं अन्य सेवाओं के अफसरों का विरोध है कि उन्हें आईएएस से दो प्रमोशन कम मिलते हैं दूसरे, संयुक्त सचिव या ऊपर के पदों पर उनकी प्रोन्नति में दो साल ज्यादा लगते हैं।
लेकिन वास्तव में इससे भी ज्यादा सालों का अंतर पड़ता है। स्थिति यह है कि आईएएस के 97 बैच के अफसर संयुक्त सचिव बनने को अग्रसतर हैं जबकि अन्य सेवाओं के 87-88 बैच के अफसरों को भी अभी सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इस सरकार में आईएएस के अलावा अन्य सेवाओं आईपीएस, राजस्व, कस्टम, आईएफएस आदि सेवाओं को भी तरजीह दी जा रही है। वेतन आयोग का रुख भी अन्य सेवाओं के प्रति सकारात्मक बताया जा रहा है।