भोपाल। मप्र के किसान तो चारों तरफ से पिट रहा है। मौसम की मार पड़ी सो पड़ी लेकिन तब पड़ी जब सरकार का खजाना खाली है। मुख्यमंत्री बस बातें किए जा रहे हैं। एक फसल बीमा की उम्मीद थी, क्लेम मिलेगा लेकिन जब क्लेम हाथ में आया तो हार्टअटैक के हालात बन गए। जिस बीमा के लिए 710 रुपए प्रीमियम भरा, उसमें क्लेम 18 रुपए मिला।
विदिशा के पीपलखेड़ा खुर्द गांव के किसान कल्याण सिंह ने चार बीघा जमीन पर 20 हजार की लागत से सोयाबीन की फसल लगाई थी लेकिन बारिश नहीं होने के कारण उनकी फसल में से सिर्फ 50 किलो सोयाबीन ही निकला।
हालांकि, कल्याण सिंह यह सोचकर निश्चिंत थे कि उन्होंने 710 रुपए का प्रीमियम जमा कर फसल का बीमा कराया है। जिससे उन्हें थोड़ी आर्थिक मदद मिल जाएगी। लेकिन जब वो क्लेम लेने गए तो उनके भी होश उड़ गए।
710 रुपए के प्रीमियम पर उन्हें महज 18 रुपए 99 पैसे दिए गए। विदिशा ही नहीं बल्कि राजगढ़, सीहोर, हरदा, रायसेन, अशोकनगर, गुना और होशंगाबाद समेत प्रदेश के ज्यादातर जिलों में किसानों को इस तरह का धोखा ही मिल रहा है।
सांकलखेड़ा के बुजुर्ग किसान बिहारी कुशवाह ने फसल पर खाद-बीज और पानी समेत 25 हजार खर्च किए लेकिन बारिश ने उनकी फसल भी बर्बाद कर दी। पूरी फसल में से उनकी बस 30 किलो की ही फसल बचाई जा सकी। जिस पर सरकार ने उन्हें बीमा के एवज में मात्र 266 रुपए क्लेम दिया।
वहीं जब आला अधिकारियों से इस बारे में बात की गई तो वो भी राशि सुनकर हैरान दिखे। उन्होंने कहा कि वो सरकार को फसल बीमा योजना में बदलाव करने के लिए जरूर पत्र लिखेंगे। ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जा सके।
ऐसे मिला क्लेम
बीमा क्लेम के लिए हल्कावार औसत उत्पादन निकाला जाता है। इसी आधार पर क्षेत्र के किसानों को बीमा क्लेम की राशि का भुगतान किया जाता है। यह क्लेम पिछले 3 सालों के औसत उत्पादन के आधार पर निकाला जाता है। वहीं जिले के कई हिस्सों में पिछले 4 सालों से लगातार फसल बर्बाद हो रही है। जिसके कारण उन क्षेत्रों का औसत उत्पादन घट गया. नतीजन किसानों को क्लेम भी काफी कम मिला।