नईदिल्ली। आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले भाजपा के दो विज्ञापनों पर रोक के बावजूद तीसरा विज्ञापन जारी कर देने के बाद चुनाव आयोग सख्त हो गया है।
आयोग ने शनिवार को राजनीतिक विज्ञापनों पर बिहार में विधानसभा चुनाव में शामिल सभी राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि दलों को प्रकाशित होने वाली सामग्री पहले राज्य मुख्य चुनाव अधिकारी को भेजनी होगी। भले ही वह विज्ञापन राज्य, जिला या किसी एक क्षेत्र में प्रकाशन के संबंध में हो।
चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से नागरिकों में जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले विज्ञापन आचार संहिता का उल्लंघन हैं। इससे सामाजिक, धार्मिक और सामुदायिक स्तर पर सद्भाव को चोट पहुंचती है। ऐसे विज्ञापन न सिर्फ आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, बल्कि विभिन्न कानूनी प्रावधानों के खिलाफ हैं। इसलिए आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ऐसे विज्ञापन किसी भी सूरत में प्रकाशित न हों और चुनाव क्षेत्र में माहौल शांतिपूर्ण बना रहे हैं।
आयोग ने विज्ञापनों के संबंध में तीन पहलुओं पर निर्देश जारी किए। उसने कहा कि बिहार में चुनाव लड़ रहे सभी राजनीतिक दल कोई विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए भेजें, तो उसे राज्य मुख्य चुनाव अधिकारी को भी प्रेषित करें। यह राजनीतिक दल और उम्मीदवार की ओर से हर हाल में किया जाना चाहिए। भले ही विज्ञापन एक क्षेत्र, जिले या राज्य स्तर के लिए जाना हो, उसकी सामग्री बिहार मुख्य चुनाव अधिकारी को मुहैया करायी जानी चाहिए। आयोग ने दूसरे बिंदु में राज्य के सीईओ को यह भी निर्देश दिया कि वह विभिन्न दलों से यह सुनिश्चित कराएं कि उनके दल तब तक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराएंगे जब तक चुनावी प्रक्रिया का निर्वहन नहीं किया जाता।
चुनाव आयोग ने बिहार मुख्य चुनाव अधिकारी को यह निर्देश भी दिया है कि अखबारों की ओर से भी यह सुनिश्चित किया जाए कि वह तभी विज्ञापन प्रकाशित करें, जबकि चुनावी प्रक्रिया का निर्वहन अधिकारी की ओर से कर लिया जाए। यह निर्देश आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 127ए को सुनिश्चित कराने के मद्देनजर मुद्रक और प्रकाशकों को जारी किया है।