मप्र में सिर्फ मंत्रियों के इलाकों में बंटेगा भरपूर मुआवजा

Bhopal Samachar
भोपाल। आधीरात को नींद से जागकर किसानों की फिक्र करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मौसम से पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का एक नया फार्मूला इजाद किया है। तय हुआ है कि सिर्फ मंत्रियों के इलाकों में भरपूर मुआवजा बंटेगा, भाजपा के विधायकों को जिताने वाले किसानों को भी थोड़ा बहुत मुआवजा मिल जाएगा परंतु जिस विधानसभा में कांग्रेस के विधायक जीते हैं वहां के किसानों को चवन्नी भी नसीब नहीं होगी। 

पढ़िए भोपाल के पत्रकार श्री राजीव शर्मा की यह रिपोर्ट: 

1- सीहोर: मुख्यमंत्री के क्षेत्र को 55 करोड़, कांग्रेस विधायक के इलाके में सिर्फ 13 करोड़:
जिले की चार विस में 113 करोड़ रूपए का मुआवजा बांटा जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी विस में 55 करोड़ स्र्पए बंटेंगे। शेष 58 करोड़ तीन विस सीटों में बंटेंगे। जिसमें सबसे कम कांग्रेस विधायक शैलेंद्र पटेल के विस क्षेत्र को 13 करोड़ दिए गए।

विधायक पटेल का आरोप है कि जिस बुधनी विस क्षेत्र को सबसे ज्यादा मुआवजा दिया गया है, वहां सोयाबीन का सबसे कम रकबा है। मालूम हो कि इछावर में फसल नष्ट होने पर एक किसान ने आत्महत्या की और आधा दर्जन किसानों की सदमे से मौत हो चुकी है।

2- शिवपुरी- करैरा-पिछोर कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र, यहां के किसानों को नहीं मिलेगा मुआवजा:
शिवपुरी जिले की पांच विस सीटों के किसानों को 65 करोड़ रूपए का मुआवजा बांटा जाना है। इसमें उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के विस क्षेत्र शिवपुरी में 20 करोड़ और पोहरी से भाजपा विधायक प्रहलाद भारती के क्षेत्र में 28 करोड़ रूपए बांटे जाएंगे। यानी दो विस क्षेत्रों में करीब अस्सी प्रतिशत से अधिक राशि बांट दी जाएगी। जबकि शेष तीन विस के किसानों को बची 20 फीसदी राशि से ही संतोषकरना पड़ेगा। जबकि सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित करैरा व पिछोर विस क्षेत्र में नुकसान माना ही नहीं गया। इसलिए यहां के किसानों को एक रूपए भी मुआवजा नहीं मिलेगा।

पिछोर से कांग्रेस विधायक केपी सिंह और करैरा से कांग्रेस विधायक शकुंतला खटीक का आरोप है कि इन विस क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं, इसलिए यहां के किसानों को मुआवजे के हक से वंचित किया गया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिछोर विस क्षेत्र का दौरा करने आए आईएफएस अधिकारी गिरधर राव ने क्षेत्र में नुकसान माना था। लेकिन प्रशासन ने आईएफएस की रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया।

3-सागर: मंत्री भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र खुरई में बंटेंगे 35 करोड़
जिले की सात विस सीटों के लिए प्रशासन ने 183 करोड़ स्र्पए का मुआवजा मांगा है। जिसमें सबसे ज्यादा 35 करोड़ मुआवजा खुरई विस सीट के लिए मांगा गया है। यहां से परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह विधायक हैं। जबकि देवरी से कांग्रेस हर्ष यादव के विस क्षेत्र के लिए 23 करोड़ मांगे गए हैं। हालांकि पहली किश्त के रूप में जिले को 44 करोड़ ही मिले हैं। जिसमें अभी सभी तहसीलों को 4.3 करोड़ रूपए दिए गए हैं।

4- दमोह- जयंत मलैया के क्षेत्र को 28 करोड़, कांग्रेस विधायक के इलाके को सवा दो करोड़:
जिले की चार विस के लिए 28 करोड़ स्र्पए मुआवजे के लिए मिले हैं। इसमें वित्त मंत्री जयंत मलैया की दमोह विस सीट के किसानों को करीब दस करोड़ रूपए बांटे जाएंगे। जबकि जबेरा से कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह के विस क्षेत्र में करीब सवा दो करोड़ रूपए का ही मुआवजा बांटा जाएगा।

5- रायसेन- राजस्व मंत्री एक माह पहले बोले- नुकसान ही नहीं नहीं है, अब उनके क्षेत्र में सौ फीसदी नुकसान: 
तीन मंत्रियों वाले रायसेन जिले की चारों विस सीटों पर सौ फीसदी से अधिक नुकसान है। यह नुकसान तब है, जब राजस्व मंत्री व सिलवानी से विधायक रामपाल सिंह ने 9 अक्टूबर को विस क्षेत्र के पियरमऊ में आयोजित लोक कल्याण शिविर में किसानों से यह कहते हुए सर्वे कराने से इंकार कर दिया था कि नुकसान ही नहीं है। लेकिन अब उसी क्षेत्र में सौ फीसदी नुकसान है। कुछ ऐसा ही हाल वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार के विस क्षेत्र सांची और संस्कृति मंत्री सुरेंद्र पटवा के भोजपुर विस क्षेत्र में है।

ऐसे हुआ खेल-
सर्वे में अधिकारियों ने फीसदी के खेल में नुकसान घटा-बढ़ा दिया। 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर 100 फीसदी के हिसाब से मुआवजा बंटता है, जबकि 25 से 33 फीसदी नुकसान पर 50 फीसदी के हिसाब से। इसी तरह 25 फीसदी से कम नुकसान मुआवजे के दायरे में नहीं आता। इसलिए मुख्यमंत्री व मंत्रियों के क्षेत्र में कहीं भी 33 फीसदी से कम नुकसान नहीं है, जबकि कांग्रेस विधायकों के इलाकों को 25 से 33 फीसदी के बीच रखा है।

अधिकारियों ने जानबूझकर कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में कम नुकसान बताया:
प्रदेश सरकार किसानों के साथ भेदभाव कर रही है। जहां कांग्रेस के विधायक हैं, वहां कम से कम मुआवजा दिया। जबकि मंत्री और भाजपा विधायकों के क्षेत्र में भरपूर मुआवजा दिया गया। यह स्थिति अधिकारियों की मनमानी के कारण बनी। अधिकारियों ने जानबूझकर कांग्रेस विधायकों के इलाके में 25 प्रतिशत से कम सर्वे किया। ताकि किसान मुआवजे के दायरे से बाहर हो जाएं। किसानों को मुआवजा न देना पड़े, इसलिए सरकार नए-नए नियम ला रही है। इनकम टैक्स के नाम पर हजारों किसानों को मुआवजा से वंचित करने की साजिश की जा रही है। अरूण यादव, प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस

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