पंचायत: आंदोलनकारियों के खिलाफ तंग करने वाली जांच शुरू

Bhopal Samachar
भोपाल। मप्र सरकार ने कुछ समय पूर्व 'तंग करने वाली मुकदमेबाजी' के खिलाफ एक कानून पारित किया था। जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति सरकार को तंग करने की नियत से मुकदमा दायर करना चाहे तो उसे रोका जा सके, परंतु इसी सरकार ने 'तंग करने वाली जांच' प्रक्रिया बंद नहीं की है। ताजा मामला पंचायत प्रतिनिधियों के आंदोलन का है। इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं के खिलाफ जांच शुरू की गईं हैं। गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे ताकि उन्हे तंग किया जा सके। उन्हें झुकाया जा सके और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने से रोका जा सके।

इससे पहले भी सरकार ने इस तरह के कदम उठाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ दर्ज हुआ विधानसभा भर्ती घोटाला प्रकरण इसका एक उदाहरण है, जो 10 साल पहले दर्ज होना चाहिए था परंतु नहीं किया और जब दिग्विजय बेलगाम हुए तो दवाब बनाने के लिए एफआईआर ठोक दी गई।

सरकार ने पंचायत आंदोलन में शामिल नेताओं के कारोबार की जांच शुरू कर दी है।
खासतौर पर उन लोगों की जो या तो सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ खड़े हैं या वो जो पर्दे के पीछे से आंदोलन को हवा दे रहे हैं। सरकार ने इसके लिए अपनी खुफिया ऐजेंसियों को भी काम पर लगा दिया है। प्रदर्शन के दौरान कराई गई वीडियाग्राफी में जिनके चेहरे दिखाई दे रहे हैं, उनके खिलाफ धारा 40 की कार्रवाई की तैयारियां की जा रहीं हैं।

आंदोलन के अगुवा भाजपा के पूर्व विधायक व रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा का मूल काम ठेकेदारी का है। शासन ने रीवा में उनके द्वारा अब तक किए गए कार्यों की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है।

इसी तरह रतलाम जिला पंचायत उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ के बारे में यह पता किया जा रहा है कि कहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया का उन्हें परोक्ष रूप से समर्थन तो नहीं। क्योंकि 28 अक्टूबर के आंदोलन के दौरान सर्वाधिक लोग रतलाम से लाए गए थे, जिन्हें झिरनिया के पास रोका गया।

पंचायत विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अभी तक 12 जिला पंचायत अध्यक्ष, 27 जनपद अध्यक्ष समेत जिला पंचायत-जनपद उपाध्यक्ष, सरपंच, पंच मिलाकर करीब 130 लोगों की जानकारी सामने आई है, जो किसी न किसी रूप में शासन के खिलाफ चल रहे आंदोलन में काम कर रहे हैं। विभाग ने मिश्रा के खिलाफ तो धारा-40 के तहत कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

फाइल अनुमोदन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव के पास भेजी गई है। इसके बाद डीपी धाकड़ को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा। इसके बाद शिवपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष रामवीर सिंह यादव, शहडोल जिपं उपाध्यक्ष पूर्णिमा तिवारी, सरपंच मुनींद्र तिवारी, सरपंच केडी शुक्ला और मुरैना जनपद उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह गांधी समेत अन्य शामिल हैं।

अपनेराम का तो केवल इतना कहना है कि सरकार को कार्रवाईयां न्याय के लिए करना चाहिए, बदले की भावना के लिए नहीं। दिग्विजय सिंह हों या अभय मिश्रा। जब भी उनके गुनाह प्रकाश में आए, जांच कराई जानी चाहिए थी। केवल सरकार विरोधियों की जांच कराना और सरकार समर्थकों के काले कारनामों को छुपाकर रखना, न्यायोचित तो नहीं कहा जा सकता। 

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