नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून में 2005 में हुए संशोधन के तहत बेटी को पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार नहीं मिलेगा, अगर इस संशोधित कानून के लागू हाने से पूर्व उसके पिता की मृत्यु हो गई हो।
कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर बेटी को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक चाहिए तो उसके पिता का 7 सितंबर 2005 को या उसके बाद जीवित रहना जरूरी है।
अगर देखा जाए तो हिन्दू उत्तराधिकार कानून 1956 बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार नहीं देता था। वे एक संयुक्त हिन्दू परिवार से केवल भरण पोषण की मांग कर सकती थीं। 9 सितंबर, 2005 को इस कानून में संशोधन करके इस असमानता को हटा दिया गया। यानी बेटियों को संशोधित कानून के तहत पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक दिया गया।