इंदौर। रिश्वत लेने के मामले में पकड़ाए निगम के बिलावली जोन में पदस्थ बिल कलेक्टर गौतम गोयल की नौकरी भी जाएगी। अगले दो दिन में गोयल पर कार्रवाई तय है। महापौर मालिनी गौड़ ने शुक्रवार को इस मामले में अपर आयुक्त देवेंद्रसिंह से जानकारी ली अौर तत्काल कार्रवाई के लिए कहा। साथ ही यह भी पूछा है कि जब बिल कलेक्टर को टैक्स की गणना करनी ही नहीं है तो राशि मांगने की बात कहां से आ गई। इसमें एआरओ सहित अन्य से भी पूछताछ की जाए।
झाबुआ दौरे से लौटी मेयर ने सुबह ही मामले की जानकारी मिलने के बाद अपर आयुक्त से चर्चा की। उन्होंने यह भी पूछा कि हमारे स्पष्ट निर्देश है कि इनकम टैक्स की तरह निगम के संपत्तिकर में भी नए खाते खोलने पर जोर देना है और सेल्फ असेसमेंट करवाना है। फिर प्रापर्टी टैक्स आंकने का काम बिल कलेक्टर क्यों कर रहे है। उन्हें तो सिर्फ सूची देना है। बाद में असेसमेंट और जांच का काम तो मुख्यालय के वरिष्ठ अफसर करेंगे। मेयर ने यह भी जानकारी निकालने के लिए कहा है कि इस तरह की डिमांड करने से लगता है, इसमें अन्य अफसरों की भूमिका तो नहीं है? इसलिए इसकी जांच कर दो दिन में रिपोर्ट दे।
हर जोन में इसी तरह धमकाता है राजस्व अमला
हालांकि निगम के राजस्व विभाग में ऐसा पहला मामला नहीं है। क्षेत्र के बिल कलेक्टर, दरोगा को जब भी प्रापर्टी टैक्स वसूली का टारगेट मिलता है तो उसमें कई तरह की जांच होती है। पहला आवासीय से कमर्शियल का। यदि किसी व्यक्ति ने घर में दुकान खोली है, मकान किराए से दिया है या अन्य व्यवसायिक उपयोग किया है तो वह पहले टैक्स जमा नहीं करता। ऐसे में एआरओ, बिल कलेक्टर को मौका मिल जाता है। इसी तरह कोई भी परिवार यदि अतिरिक्त निर्माण करता है तो बिल्डिंग परमिशन के साथ राजस्व अमला भी जानकारी लेने पहुंच जाता है। हालांकि निगम के खातों में संशोधन उतना नहीं होता जितना होना चाहिए। इसी कारण निगम अब यह काम जियो टेक्निकल सर्वे के माध्यम से करने जा रहा है।