कांग्रेस के चेहरे पर लौट आई “कांति”

राकेश दुबे@प्रतिदिन। “एक चुनाव की हार जीत से कोई  अंतर नहीं पड़ता” भाजपा नेताओं का यह नया राग है। वे दिल समझाने के लिए भले ही कुछ भी कहे, अंतर हुआ है, भाजपा और कांग्रेस दोनों में। कांग्रेस के मुर्दनी चेहरे पर कांति लौटी है तो कुछ भाजपा नेता अपने अगले ठिकाने की टोह लेने लगे हैं। भाजपा भले ही कुछ भी कहे, लेकिन यह कोई छोटी बात नहीं है की सब कुछ लगा देने के बाद भी भाजपा के विरुद्ध रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया ने बड़ी जीत दर्ज कराई।

भूरिया 88 हजार 877 वोटों से जीत गए। कांग्रेस को 5 लाख 35 हजार 781 वोट मिले, जबकि भाजपा के खाते में 4 लाख 46 हजार 904 वोट । चुनाव परिणाम के बाद कांतिलाल प्रदेश में कांग्रेस के नायक बनकर उभरते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार निर्मला भूरिया को शिकस्त दी है। हालांकि कांग्रेस के गढ़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन भूरिया, तमाम अंदर–बाहर की ताकतों को ठेंगा बताते हुए कांग्रेस के चेहरे पर कांति लाने में सफल रहे। वैसे प्रदेश में कांग्रेस की ताकत कितनी है और कहाँ-कहाँ कैसे-कैसे बंटी हुई है, सब जानते हैं।

रतलाम-झाबुआ सीट पर हार के बाद बीजेपी अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि पार्टी की रणनीति कमजोर रही। नतीजों की समीक्षा की जाएगी। जबकि लोकसभा की ये सीट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था, क्योंकि उन्होंने 6 दिनों में ताबड़तोड़ 27 रैलियां कर विकास के नाम पर वोट मांगा। मुख्यमंत्री शिवराज के अलावा मंत्रिमंडल के लगभग 10 मंत्री इलाके में डटे रहे। जिनमें भूपेंद्र सिंह, डॉ नरोत्तम मिश्रा,  जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, उमाशंकर गुप्ता, पारस जैन, विजय शाह, राज्यमंत्री लालसिंह आर्य और सुरेंद्र पटवा जैसे दिग्गज शामिल थे। उनके अलावा पार्टी के लगभग 40 विधायकों-सांसदों को चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आदिवासियों के अलावा गैर आदिवासी वोटरों को रिझाने के लिए अलग रणनीति बनाई गई थी। ग्रामीण और सैलाना विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने पूरा दम लगा दिया था, और वही से कांतिलाल भूरिया को बढत मिलना इस बात का साफ संकेत है कि भाजपा.........!

देवास विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार गायत्री राजे पवार जीत गईं। गायत्री राजे पवार 30 हजार 778 वोटों से जीतीं है। उनका मुकाबला कांग्रेस के जयप्रकाश शास्त्री के साथ था, वैसे भी यह कोई मुकबला नहीं था। कांग्रेस के अंदर खाने की खबर है की दोनों ही उम्मीदवार भाजपा के थे। गायत्री राजे प्रत्यक्ष तो जय प्रकाश अप्रत्यक्ष।

मध्य प्रदेश में सूखे की स्थिति और उससे पहले बेमौसमी बारिश ने किसानो की कमर तोड़कर रख दी थी। राज्य सरकार ने अधिकारियों को आदेश दिए थे कि, गांव-गांव खेत खेत जाकर सूखे का जायजा लें, और पूरी स्‍थिति सरकार के सामने पेश की जाए। इसके बावजूद यहां फसल मुआवजा की राशि वितरण को लेकर किसानों में खासा असंतोष देखा गया। हालांकि यह चुनाव बीजेपी के लिए कहीं खुशी कही गम लिए था। लेकिन चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं रहा। क्योंकि इसके बाद कांग्रेस की कांति लौटना शुरू हुई है, पर कान्ति लाल की दम से। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com 

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