भोपाल। सरकार ने भले ही व्यापमं का नाम बदल दिया हो परंतु ढर्रा अब भी वही पुराना चल रहा है। व्यापमं की बेवसाइट लगभग एक महीने तक ओपन पड़ी रही। इस दौरान पता नहीं किस किसने और क्या क्या कॉपी कर डाला। अब प्रबंधन यह कहकर बचने की कोशिश कर रहा है कि अभी तक कोई शिकायत सामने नहीं आई, इसलिए सबकुछ ठीक होगा।
यह है पूरा मामला...
पीएमटी सहित करीब दो दर्जन परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आने के बाद लगातार विवादों में घिरे व्यापमं ने सिस्टम सुधारने की कवायद शुरू की। इसी के तहत परीक्षा प्रणाली को कंप्यूटराइज्ड करना शुरू किया गया। बदलाव के इस सिलसिले में पुरानी वेबसाइट www.vyapam.nic.in का डाटा व जानकारी नई वेबसाइट www.peb.mp.gov.in पर अपलोड करना शुरू किया है। इसी दौरान यह गंभीर लापरवाही सामने आई।
चैकिंग के लिए डमी के साथ ओरिजनल डाटा अपलोड
सूत्रों के मुताबिक इस नई वेबसाइट बनाने का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है, उसने वेबसाइट बनाने की प्रकिया के दौरान डमी डाटा के साथ ही इसी साल 17 मई को हुए डिप्लोमा इन एनिमल हसबेंडरी एंट्रेंस टेस्ट- 2015 में शामिल करीब 6000 परीक्षार्थियों का डाटा का उपयोग किया।
कंपनी ने परीक्षार्थियों के डाटाबेस की एसक्यूएल फाइल्स का बैकअप बनाकर सर्वर पर सेव कर दी। इससे ये जरूरी और गोपनीय रखा जाना वाला डाटा सार्वजनिक हो गया। एक्सपर्ट का कहना है कि एसक्यूएल फाइल बैकएंड में प्रयोग होती है, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता।
इससे क्या फर्क पड़ता
जब नई वेबसाइट पर परीक्षार्थियों के खुले पड़े डाटाबेस से उनके एनरोलमेंट नंबर और जन्म तारीख के आधार पर प्रवेश पत्र डाउनलोड किया, तो उनकी पूरी जानकारी स्क्रीन पर सामने आ गई। परीक्षार्थियों का जो डाटा खुला पड़ा था, उसमें उनके एनरोलमेंट नंबर, आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर, वोटर आईडी नंबर, जन्म की तारीख सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी जानकारी आसानी से उपलब्ध होना हर तरह के दुरुपयोग को खुला निमंत्रण है।
डाटा चोरी होने की संभावना
हैक्सर एलाइट नाम के व्हाइट हैट हैकर ग्रुप के अनुसार जिस ढंग से वेबसाइट पर डाटा अपलोड हुआ, उसमें आसानी से चोरी होने की संभावना है। यह बेहद असुरक्षित तरीका है। बहुत मुमकिन है कि ऐसी शिकायतें सामने आएं। अब यह जांच का विषय है कि पिछले एक महीने में इस डाटा का कहीं दुरुपयोग तो नहीं हुआ।