चावल घोटाला: कागजों में गुणवत्तायुक्त, गोदामों में घटिया

Bhopal Samachar
सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। राशन की दुकानों पर घटिया चावल भेजे जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद प्रशासन ने चावल बदलने का उपक्रम तो किया परंतु केवल दस्तावेजों में। अब रिकार्ड में घटिया चावल की जगह अच्छावाला चावल दर्ज कर लिया गया है परंतु गोदामों से अभी भी वही चावल सप्लाई हो रहा है जिसे खाने से कोई भी स्वस्थ व्यक्ति बीमार हो सकता है। 

बालाघाट जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान का चावल बनाकर कस्टम मिलर्स द्वारा घटिया और अमानक स्तर का चावल जो कि आम उपभोक्ता के खाने के काबिल ही नही है उसे नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा राईस मिलर्स की सांठगांठ से खरीदा गया था।

इस मामले की शिकायत किये जाने के बाद भोपाल स्थित मुख्यालय से बालाघाट पंहुचकर श्री सुभाष कुमार द्विवेदी महाप्रबंधक उपार्जन ने 13 अगस्त 2015 को किये गये निरीक्षण के दौरान जिले के विभिन्न गोदामों में रखे 39 चावल के स्टेको का परीक्षण किया गया था जो समूचे लाट अमानक पाये गये जिन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था।

यह उल्लेखनीय है कि प्रत्येक लाट में 3 हजार 200 बोरे रखे जाते है इस प्रकार 1 लाख 25 हजार बोरे चावल आपसी साठगाठ के चलते खरीद लिया गया। 

जिले के विभिन्न गोदामों में आज भी 12 से 15 लाख बोरे अमानक और घटिया चावल से भरे पडे हुये है जिनमें 100 प्रतिशत चावल अमानक भरा हुआ है इस चावल को जिले से बाहर भेजने की तैयारी चल रही है ताकि अमानक स्तर के चावल खरीदे जाने के सबूत ना मिल सके।

जिला कलेक्टर के आखों सामने आपूर्ति अधिकारी के द्वारा 2 लाख बोरा अमानक चावल राशन के माध्यम से उपभोक्ताओं को बांट दिया गया जो आम आदमी के खाने के काबिल ही नही है?
जबकि समूचे देश में खादय सुरक्षा कानून लागू है किंतु अफसोसनाक बात यह है कि अमानक स्तर का चावल प्रदाय करने वाले राईस मिलर्स के खिलाफ खादय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई कार्यवाही करना तो दूर आज तक किसी भी राईस मिलर्स तथा नागरिक आपूर्ति निगम के किसी भी अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना होना इस बात का सबूत है की अमानक चांवल की खरीदी में नागरिक आपूर्ति निगम, राईस मिलर्स, जिला आपूर्ति अधिकारी सहित जिला प्रशासन की मिलीभगत है जिसके चलते अमानक और घटिया चांवल उपभोक्ताओं को वितरित किया जा रहा है।

इतना ही नही इस मामले के उजागर होने के बाद अमानक स्तर के चांवल की खरीदी का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है 8 हजार रूपये प्रति लाट का नजराना देकर खुलेआम आपूर्ति निगम को प्रदाय किया जा रहा है।

जानकारी यह भी मिली है कि विदिशा भेजी गई चावल की रेक में जिन राईस मिलर्स का चावल घटिया पाया गया था उन्हें चांवल बदलकर मानक स्तर का चांवल देने के नोटिस दिये गये थे जो महज खानापूर्ति की कार्यवाही की गई और कागजों में चांवल की अदलाबदली दर्शा दी गई।
राईस मिलर्स धान बेचकर सडा चांवल प्रदाय कर रहे है और सरकार को करोड़ों रूपये का चुना लगा रहे है आखिर किस के दम पर यह सारा खेल चल रहा है?

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