भोपाल। सरकार अपने ही कर्मचारियों से तंग आती जा रहीं हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी सरकार कर्मचारियों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर पर्फोम कर रहे हैं। इसी के चलते अब मप्र पुलिस में ड्रायवरों की भर्ती ही खत्म करने का विचार चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान में प्रदेश पुलिस में 10 हजार से ज्यादा पुलिस कर्मी ऐसे हैं जो ड्राइवर के पद पर पदस्थ हैं। जिनका वेतन 16 से 35 हजार रुपए प्रतिमाह के बीच है। डायल 100 सेवा में सफारी गाड़ियों में 5 से 8 हजार की पगार में प्राइवेट ड्रायवर रखे गए हैं। यानी पुलिस ड्राइवर की एक पगार के बराबर में 3 प्राइवेट ड्राइवर मिल रहे हैं। काम भी अच्छा है। इसलिए नई योजना बनाई जा रही है।
रोजगार मिलेगा, स्टाफ बढ़ेगा
नई योजना के लागू होने से पुलिस में भर्ती ड्राइवरों को थाना स्तर के कामकाज में लिया जाएगा। इससे स्टाफ की कमी का रोना कम होगा। साथ ही इस योजना से रोजगार के अवसर और पुलिसिंग के सहयोगी बढ़ेंगे। ये तर्क गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में दिया गया है।
मेंटेनेंस होगा बेहतर
पुलिस विभाग के बड़े अफसरों को छोड़ दिया जाए तो थाना और लॉ एण्ड ऑर्डर के उपयोग में आने वाले वाहनों की हालत 2 से 5 साल में जर्जर हो जाती है। हर जिले में मोटरव्हीकल शाखा रहती है, लेकिन यहां इनका मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो पाता। लिहाजा प्राइवेट ड्राइवरों के साथ वाहनों के मेंटेनेंस का काम भी पुलिस की एमटी शाखा में निजी मैकेनिकों से कराया जाएगा। हालांकि इन सभी की निगरानी पुलिस अफसरों के अधिनस्थ रहेगी।