लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब किसी भी कारखाने में नाइट शिफ्ट में महिलाओं से काम नहीं करवाया जाएगा। यदि किसी कारखाना मालिक ने ऐसा किया तो प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शासन ने सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी महिला श्रमिक को रात में कारखानों में काम करने की अनुमति न दी जाए। प्रमुख सचिव अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि किसी महिला कर्मचारी से रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कारखाने में कार्य करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि किसी महिला कर्मचारी से किसी भी दिन नौ घंटे से अधिक और किसी सप्ताह में 48 घंटे से अधिक कार्य करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी। सिन्हा ने कहा कि यदि किसी महिला कर्मचारी को शाम 7 बजे से रात 10 बजे के बीच या सुबह 5 बजे से 6 बजे के बीच काम करने के लिए बुलाया जाए तो कारखाने का अधिष्ठाता उसे उसके घर से कारखाने तक जाने और वापस ले जाने के लिए कारखाने के खर्च पर प्रबन्ध करेगा।
उन्होंने बताया कि अगर कोई महिला कर्मचारी सुबह 5 बजे और 6 बजे के बीच या शाम 7 बजे और रात 10 बजे के बीच कारखाने में काम करने से इनकार करें तो इस आधार पर नियोजन से नहीं हटाया जाएगा। ऐसे सभी कर्मचारियों को मध्यान्ह भोजन-रात्रि भोजन के लिए कैन्टीन सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। अरुण सिन्हा ने बताया कि निर्धारित समय के प्रतिकूल कार्य करने के लिए बुलाने से पहले अधिष्ठाता अपने द्वारा प्रस्तावित व्यवस्था के सत्यापन के लिए कारखाने के सम्बन्धित निरीक्षक को सूचित करेगा और सत्यापन के लिए निरीक्षक को कम से कम सात दिन का समय देगा।