भोपाल। व्यापमं मामले में रोज रोज खुलासे कर रहे दिग्विजय सिंह को उलझाने के लिए सरकार ने विधानसभा भर्ती कांड में एफआईआर दर्ज कर जाल बिछाया था परंतु अब सरकार खुद ही अपने जाल उलझ गई है। जांच के दौरान उठे सवालों को अफसरों ने फुटबॉल बना दिया है। कार्मिक विभाग ने विधि विभाग की ओर किक किया तो विधि विभाग ने रांग पास मानते हुए उसे बाउंड्री के बाहर जाने दिया। अब बॉल मुख्यसचिव के कोर्ट में हैं। देखते हैं वो इसे किस दिशा में किक करते हैं।
दिग्विजय सिंह एवं उनके साथियों के खिलाफ जांच कर रहे सीएसपी सलीम खान ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर सात बिन्दुओं पर जानकारी मांगी है। सबसे अहम बात ये है कि विभाग को इन सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं। दरअसल पुलिस द्वारा मांगे गए नियम-कायदों की कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है।
विधि विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने उनसे इस मामले में जवाब मांगा था। इस पर विभाग ने पूरे मामले में विधि से संबंधित कोई प्रश्न न होने की बात कहते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया।
- पुलिस ने यह मांगी जानकारी
- क्या मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को विभाग के भर्ती नियमों को शिथिल करते हुए कैबिनेट के अनुमोदन के प्रत्याशा में किसी उम्मीदवार को नियुक्ति देने का अधिकार है?
- क्या मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को किसी उम्मीदवार को नियमों को शिथिल करते हुए बगैर न्यूनतम अर्हता के कैबिनेट के अनुमोदन में नियुक्ति देने का अधिकार है?
- क्या लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती के पदों पर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री या कैबिनेट किसी उम्मीदवार को लोक सेवा आयोग की अनुमति के बगैर नियुक्ति देने का अधिकार है?
- क्या कैबिनेट ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति या संविलियन कर सकती है जो पद के लिए निर्धारित अर्हता न रखता हो?
- क्या नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति और संविलियन के नियमों को शिथिल करने का एवं किसी व्यक्ति के प्रकरण को विशेष मानने का अधिकार है?
- यदि किसी व्यक्ति का कैबिनेट की मंजूरी की प्रत्याशा में नियमों को शिथिल कर हुए या विशेष प्रकरण मानकर नियुक्ति, संविलियन आदेश जारी करने के बाद उसे कैबिनेट में अनुसमर्थन नहीं दिया, तो उन प्रकरणों की वैधानिक स्थिति क्या होगी?
- क्या मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को सीधे नियुक्ति आदेश जारी करने का अधिकार है?