भोपाल। शुरू से ही विवादों में घिर गई प्रस्तावित आईएएस अवार्ड लिस्ट में एक नया टंटा टेग हो गया है। नगरीय प्रशासन जबलपुर के डिप्टी डायरेक्टर राजीव निगम ने जो दस्तावेज संलग्न किए हैं वो जाली हैं। इतना ही नहीं महोदय ने अपनी सीआर कमिश्नर के बजाए मंत्री से लिखवा ली और गजब तो यह कि मंत्रीजी ने भी लिख डाली।
उन्होंने अपनी सीआर (गोपनीय चरित्रावली) के मार्क कॉलम में व्हाईटनर लगाकर छेड़छाड़ भी की है। अब कार्मिक विभाग ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर निगम से संबंधित जानकारी तलब की है। कार्मिक विभाग ने पत्र में कहा है कि उप संचालक निगम 2005 से 10 तक नगर निगम भोपाल में कार्यरत रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनकी सीआर नगर निगम आयुक्त भोपाल द्वारा लिखी जानी चाहिए थी, लेकिन निगम ने अपनी सीआर आयुक्त की बजाए सीधे मंत्री जयंत मलैया से लिखवाई।
उन्होंने इसके लिए अपनी पदस्थापना मंत्री के निजी स्थापना में बताते हुए राप्रसे के समकक्ष काम करना बताया है, जबकि मंत्री स्थापना में अटैच सभी कर्मचारियों की सीआर मंत्री के ओएसडी ही लिखते हैं, लेकिन निगम ने सीधे मंत्री से लिखवाई है।
कार्मिक ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि निगम ने आईएएस में पदोन्न्त होने के लिए राप्रसे के समकक्ष कार्य करना बताया है, जबकि इस अवधि में राप्रसे अधिकारी महिपाल सिंह पहले से ही मंत्री के ओएसडी के रूप में पदस्थ थे। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा राप्रसे के समकक्ष कार्य करने की कही गई बात भी गलत है। कार्मिक विभाग ने कहा कि सीआर में स्वीकारकर्ता का मतांकन भी अंकित नहीं है।
उन्होंने इस पूरे मामले में नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव से जानकारी मांगी है। सारे मामले में जब राजीव निगम से बात की गई तो पहले कहा कि मैंने खुद तो अपनी सीआर नहीं लिख ली। फिर फर्जी दस्तावेजों के सवाल पर जवाब देने से इंकार कर दिया।