भोपाल। व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ पर रिश्वतखोरी और सत्ताधारियों के पक्ष में कई मामलों को दबाने के आरोप लगते रहे हैं। अब सीबीआई ने भी माना है कि कई बिन्दुओं पर एसटीएफ की भूमिका डाउटफुल रही है। इसलिए व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे एसटीएफ अवसर भी जांच की जद में रहेंगे।
सीबीआई अभी उन 1002 शिकायतों की खोजबीन की योजना बना रही है जो एसटीएफ को मिली थीं, लेकिन उन पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। एसटीएफ द्वारा राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया, जिसे हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में खारिज कर दिया। इसलिए इसमें यह सवाल भी है कि जब पुख्ता साक्ष्य नहीं थे तो प्रकरण दर्ज करने में जल्दबाजी क्यों हुई?
संदिग्ध मौतों के मामले में सीबीआई की शुरुआती जांच में अनेक सवाल हैं जिन पर वह संबंधित जांच अफसरों से पूछताछ कर सकती है। इन सभी मसलों पर सुप्रीम कोर्ट में 23 नवंबर को सीबीआई अपना पक्ष भी रखेगी जिसमें कोर्ट से मार्गदर्शन मांगा जाएगा।
सुर्खियों में रहे STF अफसर
एसटीएफ द्वारा व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान एडीजी सुधीर साही के अलावा उनकी टीम के अफसरों में आशीष खरे, कमल मौर्य, दिलराज सिंह बघेल, दिनेश तिवारी, राजेन्द्र सिंह चंदेल एवं चैनसिंह के नाम सुर्खियों में रहे। इनके अलावा स्टाफ के अन्य सदस्य भी घोटाले की पर्तें खोलने में सहयोगी थे।