भोपाल। अस्पतालों में भर्ती मरीजों के भोजन के लिए उपलब्ध कराए गए बजट का दुरुपयोग करने के मामले में विधानसभा की लोकलेखा समिति ने स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन कमिश्नर और दो डायरेक्टरों के खिलाफ जांच करने की सिफारिश की है।
मामला उज्जैन का है। जहां 2006 से 08 के बीच मरीजों के भोजन की रकम से 1 करोड़ 60 लाख रुपए के सोयाबीन बिस्कुट और नमकीन खरीदा गया था। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। उज्जैन के संयुक्त संचालक रहे डॉ.आरआर जडिया ने नियम-कायदे को ताक पर रखकर यह खरीदी की।
समिति ने कहा कि तत्कालीन आयुक्त अलका उपाध्याय और संचालक डॉ.एमपी जोशी ने गंभीर कार्रवाई नहीं की। उनकी भूमिका की जांच हो और दोषी पाए जाने पर सजा भी दी जाए। संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवा उज्जैन डॉ.आरआर जडिया ने अस्पताल में भर्ती रोगियों के भोजन के लिए आवंटित राशि से कुपोषित बच्चों में वितरण के लिए सोया उत्पाद खरीद लिए। फिर इन अधिकारियों ने इसे महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों को थमा दिया। गड़बड़ी को अंजाम देने के लिए 80-90 हजार के क्रय आदेश जारी 1.60 करोड़ की खरीदी कर डाली।
दो साल में 4 बार प्रमुख सचिव को बुलाया, तब रोकी पेंशन
समिति ने प्रतिवेदन में बताया कि विभाग की मंशा कार्रवाई करने की नहीं थी। यही वजह है कि दो साल में चार बार प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को मौखिक साक्ष्य के लिए बुलाना पड़ा। इसके कारण ही प्रकरण कैबिनेट गया और दोषी की पेंशन रोकने की कार्रवाई हो पाई।
डॉ. जडिया के खिलाफ पेंशन से 5 प्रतिशत की राशि वसूली तीन साल तक किए जाने की सजा देते हुए मामले को समाप्त कर दिया। समिति ने कहा कि विभाग ने इसमें भी गुमराह किया। प्रकरण में ठोस कार्रवाई तत्कालीन संचालक मनोहर अगनानी के कार्यकाल में हुई, लेकिन इनका तबादला होते ही जांच अधिकारी फिर बदल दिए गए।