आगरा। वैसे तो ग्राम प्रधान चुनाव लड़ने के लिए कम से कम किसी शख्स की उम्र 21 साल होना जरूरी है. हालांकि, यूपी के आगरा में ऐसा मामला सामने आया है जिसकी सच्चाई जानकर हर कोई हैरान और परेशान है.
दरअसल, 17 साल के गजेंद्र सिंह चौहान ने आगरा के चचिया गांव में ग्राम प्रधान चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की. नतीजे आने के बाद उसकी तरफ लोगों का ध्यान गया. गजेंद्र के मां-बाप ने चुनाव के वक्त हलफनामा देकर गजेंद्र की उम्र 21 साल बताई थी. हलफनामे के मुताबिक, वह पांचवीं तक पढ़ा है.
हालांकि, स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार गजेंद्र का जन्म 15 अगस्त, 1998 में हुआ. इस हिसाब से उसकी उम्र 17 साल हुई और वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है. अब विरोधी पक्ष इस मामले को अदालत में चुनौती देने की कोशिश में जुट गए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि गजेंद्र ने जब प्रधानी चुनाव में सबसे कम उम्र में ग्राम प्रधान (सुरक्षित सीट) से जीत दर्ज की तो वे बेहद गौरवान्वित महसूस हुए. उस वक्त गजेंद्र ने 250 मतों के अंतर से जीत का स्वाद चखा. अब ऐसा लगता है कि जीत का मजा किरकिरा हो गया है.
विरोधी पूरण सिंह का कहना है, 'गजेंद्र ने चुनाव अधिकारियों के पास गलत दस्तावेज जमा कराए थे. वह 11वीं क्लास का छात्र है. मैंने नामांकन दाखिल करने के समय भी यह मसला उठाया था, लेकिन गजेंद्र के ताकतवर मां-बाप ने उसे दबा दिया.'
इस सबके बीच गजेंद्र की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. हालांकि, गजेंद्र के पिता राम स्नेही का कहना है कि वे किसी भी जांच को तैयार हैं.